online casino india

Suf, Tasawwuf aur Mausiqi: Episode-1 (Fariduddin Ayaz)

We travelled by an auto rickshaw in the streets of Old Delhi, people from air conditioned SUVs rolled down their window to wish him with the humblest of salaams, he responded to them with his folded hands. Some strangers from the pavement recognized him at Connaught place and requested him to pray for them. He… continue reading

फ़िरदौसी-अज़ सय्यद रज़ा क़ासिमी साहिब हुसैनाबादी

ताज़ा ख़्वाही दाश्तन गर दाग़-हा-ए-सीनः रा गाहे-गाहे बाज़ ख़्वाँ ईं क़िस्सा-ए-पारीनः रा अबुल-क़ासिम मंसूर, सूबा-ए-ख़ुरासान के इब्तिदाई दारुस्सुल्तनत तूस में सन 935 ई’स्वी में पैदा हुआ था। उसके बाप का नाम इस्हाक़ बिन शरफ़ था जो सूबा-दार-ए-तूस मुसम्मा अ’मीद की एक जाएदाद का मुहाफ़िज़ था। उस मिल्कियत का नाम फ़िरदौस था।इसी रिआ’यत से अबुल-क़ासिम ने अपना तख़ल्लुस फ़िरदौसी… continue reading

सय्यिद अमीर माह बहराइची

सय्यिद अफ़ज़लुद्दीन अबू जा’फ़र अमीर माह बहराइची को बहराइच में सय्यिद सालार मस्ऊ’द ग़ाज़ी के बा’द सबसे ज़्यादा मक़्बूलियत-ओ-शोहरत हासिल हुई।आपकी पैदाइश बहराइच में हुई। सन-ए-विलादत किसी किताब में मज़कूर नहीं हैं।   प्रोफ़ेसर ख़लीक़ अहमद निज़ामी(अ’लीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी) लिखते हैं: “मीर सय्यिद अमीर माह (रहि.)बहराइच के मशहूर-ओ-मा’रूफ़ मशाइख़-ए-तरीक़त में थे।सय्यिद अ’लाउद्दीन अल-मा’रूफ़ ब-अ’ली जावरी… continue reading

मसनवी की कहानियाँ -1

एक ख़रगोश का शेर को चालाकी से हलाक करना (दफ़्तर-ए-अव्वल) कलीला-ओ-दिमना से इस क़िस्से को पढ़ इस में से अपने हिस्से की नसीहत हासिल कर। कलीला-ओ-दिमना में जो कुछ तूने पढ़ा वो महज़ छिलका और अफ़्साना है इस का मग़्ज़ अब हम पेश करते हैं। एक सब्ज़ा-ज़ार में चरिन्दों की शेर से हमेशा कश्मकश रहती… continue reading

उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़

पाँचवें शव्वाल को हम लोग ब-तक़रीब-ए-उ’र्स हज़रत बुर्हानुल-आ’रिफ़ीन मख़्दूम-ए-जहाँ शैख़ शरफ़ुद्दीन अहमद यहया अल-मनेरी अल-बिहारी, बिहार हाज़िर हुए।उ’र्स बि-हम्दिल्लाह ख़ैर-ओ-ख़ूबी से तमाम हुआ। इस साल मेला का भारी जमाव था। मजमा’ बहुत ज़्यादा था। अतराफ़-ओ-जवार के अ’लावा ज़िला’ पूर्निय-ओ-भागलपूर,दरभंगा-ओ-ज़िला मुंगेर-ओ-ज़िला सारन वग़ैरा वग़ैरा दूर-दराज़ मक़ामात के लोग अ’वाम-ओ-अ’माइद-ओ-मोअ’ज़्ज़ेज़ीन हाज़िर थे।आज़ाद फ़ुक़रा का बड़ा गिरोह और… continue reading

शम्स तबरेज़ी-ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी

आपका असली नाम शम्सुद्दीन है।आपके वालिद-ए-माजिद जनाब अ’लाउद्दीन फिर्क़ा-ए-इस्माई’लिया के इमाम थे।लेकिन आपने अपना आबाई मज़हब तर्क कर दिया था।आप तबरेज़ में पैदा हुए और वहीं उ’लूम-ए-ज़ाहिरी की तहसील की।आप अपने बचपन का हाल ख़ुद बयान फ़रमाते हैं कि उस वक़्त मैं इ’श्क़-ए-रसूल सल्लल्लाहु अ’लैहि व-सल्लम में इस क़दर मह्व था कि कई कई रोज़… continue reading