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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

हज़रत बंदा नवाज़ गेसू दराज़-अज़ जनाब सय्यिद हाशिम अ’ली अख़तर

आपका इस्म-ए-मुबारक सय्यिद मोहम्मद था।अबुल-फ़त्ह कुनिय्यत और अलक़ाब सदरुद्दीन वलीउल-अकबर अस्सादिक़ लेकिन वो हमेशा हज़रत बंदा-नवाज़ गेसू दराज़ के नाम से मशहूर रहे।ख़ुद अपनी ज़िंदगी में उन्हें इसी नाम से मक़्बूलियत थी। नसब आपके जद्द-ए-आ’ला अबुल-हसन जुन्दी हिरात से दिल्ली तशरीफ़ लाए थे।दिल्ली में क़याम फ़रमाया। एक जिहाद में शरीक हो कर जाम-ए-शहादत नोश फ़रमाया।हज़रत गेसू… continue reading

अमीर ख़ुसरो के अ’हद की देहली-जनाब हुस्नुद्दीन अहमद

ये बात बड़ी ख़ुश-आइंद है कि सात सौ साल के बा’द हिन्दुस्तान में अमीर ख़ुसरो की बाज़याफ़्त की कोशिश मुनज़्ज़म और वसीअ’ पैमाना पर हो रही है।इस सिलसिले में एक अहम काम अमीर ख़ुसरो के अ’हद के देहली और उसकी ज़िंदगी के मुतअ’ल्लिक़ ज़्यादा से ज़्यादा मालू’मात फ़राहम करना है।इन मा’लूमात से अगर एक तरफ़… continue reading

हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत-जनाब तय्यब अंसारी

हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु ने फ़रमाया था: परवाने को चराग़ है, बुलबुल को फूल बस सिद्दीक़ के लिए है ख़ुदा का रसूल बस रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम अफ़ज़ल हैं या सय्यिद मोहम्मद ? तो उसने हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु की तरह कुछ ऐसा ही जवाब दिया। “हज़रत मोहम्मद रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम अगर्चे पैग़म्बर-ए-ख़ुदा हैं… continue reading

हज़रत शैख़ फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर-निसार अहमद फ़ारूक़ी फ़रीदी

हज़रत शैख़ फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर रहमतुल्लाहि अ’लैह जो आ’म तौर पर हज़रत बाबा फ़रीद के नाम से याद किए जाते हैं, हिन्दुस्तान में चिश्तिया सिलसिले के अहम सुतून हैं।उन्होंने हज़रत शैख़ क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी(रहि.)और हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती ग़रीब-नवाज़ रहमतुल्लाहि अ’लैह से रुहानी फ़ैज़ हासिल किया। हज़रत बाबा फ़रीद रहमतुल्लाहि अ’लैह से बातिनी ता’लीम हासिल… continue reading

गुरु बाबा नानक जी-(अ’ल्लामा सर अ’ब्दुल क़ादिर मरहूम)

दुनिया के उन चीदा बुज़ुर्गों में जिन्हों ने अपनी ज़िंदगियाँ ख़ल्क़-ए-ख़ुदा की रहनुमाई के लिए वक़्फ़ कर दीं और अपने ज़ाती आराम और आसाइश पर ख़ुदा के बंदों की ख़िदमत को तरजीह दी गुरू बाबा नानक जी बहुत दर्जा रखते थे।हमारे पयारे वतन का वो गोशा जो पाँच दरियाओं से सैराब होता है और उसी… continue reading