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मधुमालती के अली मंझन शत्तारी राजगीरी

हज़रत इमाम हसन के वंश में से एक सूफ़ी हज़रत मीर सय्यद मोहम्मद हसनी बग़दाद से ख़ुरासान और ख़ुरासान से भारत आए और यहीं बस गए। आप का सिलसिला इस तरह हज़रत इमाम हसन से जा कर मिलता है- मीर सय्यद इमाद-उद्दीन हसनी बिन ताज-उद्दीन बिन मोहम्मद बिन अज़ीज़-उद्दीन हुसैन बिन मोहम्मद अल-क़रशी बिन अबू… continue reading

हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत-जनाब तय्यब अंसारी

हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु ने फ़रमाया था: परवाने को चराग़ है, बुलबुल को फूल बस सिद्दीक़ के लिए है ख़ुदा का रसूल बस रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम अफ़ज़ल हैं या सय्यिद मोहम्मद ? तो उसने हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु की तरह कुछ ऐसा ही जवाब दिया। “हज़रत मोहम्मद रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम अगर्चे पैग़म्बर-ए-ख़ुदा हैं… continue reading

हज़रत शैख़ फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर-निसार अहमद फ़ारूक़ी फ़रीदी

हज़रत शैख़ फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर रहमतुल्लाहि अ’लैह जो आ’म तौर पर हज़रत बाबा फ़रीद के नाम से याद किए जाते हैं, हिन्दुस्तान में चिश्तिया सिलसिले के अहम सुतून हैं।उन्होंने हज़रत शैख़ क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी(रहि.)और हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती ग़रीब-नवाज़ रहमतुल्लाहि अ’लैह से रुहानी फ़ैज़ हासिल किया। हज़रत बाबा फ़रीद रहमतुल्लाहि अ’लैह से बातिनी ता’लीम हासिल… continue reading

गुरु बाबा नानक जी-(अ’ल्लामा सर अ’ब्दुल क़ादिर मरहूम)

दुनिया के उन चीदा बुज़ुर्गों में जिन्हों ने अपनी ज़िंदगियाँ ख़ल्क़-ए-ख़ुदा की रहनुमाई के लिए वक़्फ़ कर दीं और अपने ज़ाती आराम और आसाइश पर ख़ुदा के बंदों की ख़िदमत को तरजीह दी गुरू बाबा नानक जी बहुत दर्जा रखते थे।हमारे पयारे वतन का वो गोशा जो पाँच दरियाओं से सैराब होता है और उसी… continue reading

हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली-जनाब बिशम्भर नाथ पाण्डेय (साबिक़ गवर्नर,उड़ीसा)

बंगाल के ख़ुद-मुख़्तार पठान सुल्तान बंगला ज़बान के बहुत बड़े हिमायती थे।सुलतान हुसैन शाह ने सरकारी ख़र्च पर महाभारत, रामायण, उपनिषद जैसी संस्कृत की मज़हबी किताबों का बंगला में तर्जुमा कराया।बंगला अदीबों को इनआ’म और इकराम दिए।उस ज़माने के बहुत बड़े मैथिली और बंगला ज़बान के शाइ’र विद्यापति ने हुसैन शाह की ता’रीफ़ में बहुत सी… continue reading

हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती की दरगाह- प्रोफ़ेसर निसार अहमद फ़ारूक़ी

 तारीख़ की बा’ज़ अदाऐं अ’क़्ल और मंतिक़ की गिरफ़्त में भी नहीं आतीं। रू-ए-ज़मीन पर ऐसे हादसात भी गुज़र गए हैं जिनसे आसमान तक काँप उठा है मगर तारीख़ के हाफ़िज़े ने उन्हें महफ़ूज़ करने की ज़रूरत नहीं समझी और एक ब-ज़ाहिर बहुत मा’मूली इन्फ़िरादी अ’मल-ए-जावेदाँ बन गया है और उसके असरात सदियों पर फैल… continue reading