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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

ज़िक्र-ए-ख़ैर शाह मोहसिन अबुल-उ’लाई दानापुरी

बिहार की सर-ज़मीन से न जाने कितने ला’ल-ओ-गुहर पैदा हुए और ज़माने में अपने शानदार कारनामे से इन्क़िलाब पैदा किया।उनमें शो’रा,उ’लमा,सूफ़िया और सियासी रहनुमा सब शामिल हैं।जब ज़रूरत पड़ी तो क़ौम की बुलंदी की ख़ातिर सियासत में उतरे।जब मज़हब पर उंगलियाँ उठने लगीं तो ब-हैसीयत आ’लिम-ए-दीन उसका जवाब दिया। जब क़लम की ज़रूरत महसूस हुई… continue reading

ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी-हज़रत मुल्ला वाहिदी देहलवी

दिल्ली की जामा’ मस्जिद से साढे़ ग्यारह मील जानिब-ए-जनूब मेहरवली एक क़स्बा है जो बिगड़ कर मेहरौली हो गया है। दिल्ली वाले इसे क़ुतुब साहिब और ख़्वाजा साहिब भी कहते हैं। यहाँ बड़े-बड़े औलिया-अल्लाह मदफ़ून हैं। इनमें सबसे बड़े क़ुतुबुल-अक़ताब ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अ’लैहि हैं। यहीं क़ुतुब की नादिरुल-वजूद लाठ है। ये सुल्तान क़ुतुबुद्दीन ऐबक की मस्जिद क़ुव्वतुल-इस्लाम का मीनार है। यहीं दरवेश मनिश बादशाह शम्सुद्दीन अल्तमिश का मज़ार है और दिल्ली जिन बुज़ुर्गों की वजह से ‘बाईस ख़्वाजा की चौखट’ से मशहूर है उन बाईस में से अक्सर ख़्वाजगान इसी क़स्बा में आराम फ़रमा रहे हैं।

बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन ,फ़िरंगी महल्ली,लखनऊ

बात की इब्तिदा तो अल्लाह या ईश्वर के नाम ही से है जो निहायत मेहरबान और इंतिहाई रहम वाला है और सब ता’रीफ़ तो ईश्वर या अल्लाह की ही है जो सब जगतों का पालनहार है।जिसका कोई साझी नहीं है।जो निहायत रहम वाला मेहरबान है।उसका सलाम मोहम्मद सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम,आल-ए-मोहम्मद,अस्हाब-ए-मोहम्मद सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम और उनके… continue reading

हज़रत मीराँ जी शम्सुल-उ’श्शाक़- प्रोफ़ेसर निसार अहमद फ़ारूक़ी

उर्दू ज़बान की सर-परस्ती सब से ज़ियादा सूफ़िया ने की है।इसलिए कि उनका राब्ता अ’वाम और उनके मसाइल से था जिसके लिए अ’वामी ज़रिआ’-ए-इज़हार को समझना और बरतना भी ज़रूरी था।जब कि उ’लमा का सर-ओ-कार बेशतर इ’ल्मी मसाइल की तशरीह-ओ-तावील,तफ़्सीर-ओ-ता’बीर से रहा।और इस मक़्सद के लिए उन्हों ने अक्सर फ़ारसी ज़बान को वसीला बनाया जो… continue reading

Hazrat Makhdoom Syed Fariduddin Tavile Bukhsh Chishti

Eighty kilometers south-west of Patna is small village Chanpura that’s a part of Bihar Sharif, Nalanda District. It has a shrine of a medieval Sufi saint of Chishti order who is widely popular as Tavile Buksh. The medieval Sufis traveled all across the Islamic world, usually on the instructions of their spiritual masters. In the… continue reading