Dara Shukoh and Baba Laal Bairaagi.(दारा शुकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता )
रोज़ ए अजल से इस जहान ए फ़ानी के अर्श पर गर्दिश करती आत्मा की यह पतंग उस दिन फिर वक़्त की आँधी मे टूट कर ज़मीन पर आ गिरी। इस पतंग ने उन खुदा के बंदों को देखा है जिन्होने इसे इश्क़ की डोर से बांध कर कन्नी दी और पतंग को दोबारा अर्श… continue reading