शैख़-ए-तरीक़त हज़रत सय्यद अ’ल्लामा मोहम्मद अ’ली शाह मयकश रहमतुल्लाह अलै’ह-सवानेह और किरदार
हुल्या देखो तो ठेठ अकबराबादी और दिल टटोलो तो मक्की मदनी-ओ-बग़दादी-ओ-अजमेरी। मयकश साहिब शाइ’री में इस क़द्र सही मज़ाक़ और लतीफ़ तबीअ’त रखते हैं कि बस उसके आगे ख़ुदा का ही नाम है।
-हामिद हसन क़ादरी