लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी- मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
दफ़्तर-ए-शो’रा में जिस पसंदीदा निगाह से लिसानुल-ग़ैब शम्सुद्दीन मोहम्मद हाफ़िज़ शीराज़ी अ’लैहिर्रहमा का कलाम देखा जाता है उसका उ’श्र-ए-अ’शीर भी किसी बड़े से बड़े सुख़नवर के कलाम को नसीब नहीं हुआ। लारैब आपके दीवान का एक एक शे’र ख़ुम-ख़ाना-ए-फ़साहत और मयकदा-ए-बलाग़त की किलीद है। अल्लाह तआ’ला की मा’रिफ़त और तौहीद की झलक जो आपके कलाम… continue reading