तसव़्वुफ का अ’सरी मफ़्हूम-डॉक्टर मस्ऊ’द अनवर अ’लवी काकोरी
तसव्वुफ़ न कोई फ़ल्सफ़ा है न साइंस। ये न कोई मफ़रूज़ा है न हिकायत और न ख़्वाब कि जिसकी ता’बीरें और मफ़्हूम ज़मानों के साथ तग़य्युर-पज़ीर होते हों।यह एक हक़ीक़त है।एक न-क़ाबिल-ए-तरदीद हक़ीक़त।एक तर्ज़-ए-हयात है।एक मुकम्मल दस्तूर-ए-ज़िंदगी है जिसको अपना कर आदमी इन्सानियत की क़बा-ए-ज़र-अफ़्शाँ ज़ेब-तन करता है।तो आईए सबसे पहले ये देखा जाए कि इसका असली… continue reading