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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

मसनवी की कहानियाँ -6

मज्नूँ और लैला की गली का कुत्ता(दफ़्तर-ए-सेउम) मज्नूँ एक कुत्ते की बलाऐं लेता था, उस को प्यार करता था और उस के आगे बिछा जाता था।जिस तरह हाजी का’बे के गिर्द सच्ची निय्यत से तवाफ़ करता है उसी तरह मज्नूँ उस कुत्ते के गिर्द फिर कर सदक़े क़ुर्बान हो रहा था। किसी बाज़ारी ने देखकर… continue reading

हज़रत सय्यिदना अ’ब्दुल्लाह बग़दादी -हज़रत मैकश अकबराबादी

नाम सय्यिद अ’ब्दुल्लाह,लक़ब मुहीउद्दीन सानी, मौलिद बग़दाद शरीफ़।नसब 12 वास्ते से शैख़ुल-कुल ग़ौस-ए-आ’ज़म हज़रत सय्यिद मुहीउद्दीन अ’ब्दुल क़ादिर जीलानी तक पहुंचता है।जो आपका सिलसिला-ए-नस्ब है वही सिलसिला-ए-तरीक़त है।अपने वालिद-ए-मोहतरम सय्यिद अ’ब्दुल जलील रहमतुल्लाहि  अ’लैह के बा’द आप ख़ानक़ाह-ए-ग़ौसियत-मआब के सज्जादे हुए और ब-हुक्म-ए- हज़रत ग़ौस-ए-पाक हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए।सन-ए-तशरीफ़-आवरी ब-क़ौल-ए-बा’ज़ सन 1185 हिज्री है और ब-क़ौल-ए-बा’ज़ सन 1190 हिज्री।बा’ज़ अरबाब-ए-तारीख़ ने आपको… continue reading

मसनवी की कहानियाँ -5

एक बादशाह का दो नव ख़रीद ग़ुलामों का इम्तिहान लेना(दफ़्तर-ए-दोम) एक बादशाह ने दो ग़ुलाम सस्ते ख़रीदे। एक से बातचीत कर के उस को अ’क़्लमंद और शीरीं- ज़बान पाया और जो लब ही शकर हो तो सिवा शर्बत के उनसे क्या निकलेगा। आदमी की आदमियत अपनी ज़बान में मख़्फ़ी है और यही ज़बान दरबार-ए-जान का… continue reading

मसनवी की कहानियाँ -4

लोगों का अँधेरी रात में हाथी की शनाख़्त पर इख़्तिलाफ़ करना ऐ तह देखने वाले, काफ़िर-ओ-मोमिन-ओ-बुत-परस्त का फ़र्क़ अलग अलग पहलू से नज़र डालने के बाइ’स ही तो है। किसी ग़ैर मुल्क में अहल-ए-हिंद एक हाथी दिखाने लाए और उसे बिलकुल तारीक मकान में बांध दिया। लोग बारी बारी से आते और उस अंधेरे घर… continue reading

गीता और तसव्वुफ़-मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम

हिन्दुस्तान जिस तरह तमद्दुन-ओ-मुआ’शरत में दूसरी मोहज़्ज़ब क़ौमों का गुरू था उसी तरह वो रूहानियत में भी कमाल पर पहुंचा हुआ था।श्री कृष्ण जी की गीता उस ज़र्रीं अ’ह्द की बेहतरीन याद-गार है। गीता महा-भारत मुसन्निफ़ा वेद व्यास के भीष्म पर्व का जुज़्व है।उस में अठारह बाब और सात सौ मंत्र हैं जिनमें वो उसूल-ओ-नसीहतें… continue reading