हज़रत मैकश अकबराबादी

मेरी निगाह ने हस्ती को दी है ज़ौ मैकश मैं देख लूं तो ये मोती है वर्ना शबनम है -(अ’ल्लामा मैकश अकबराबादी) हज़रत क़िब्ला सय्यद मोहम्मद अ’ली शाह मैकश अकबराबादी दास्तान-ए-अदब आगरा के वो आख़िरी ज़ी-इ’ल्म-ओ-नज़र अदीब शाइ’र थे जिनके विसाल के साथ ही ऐवान-ए-अदब आगरा एक शम्अ’ जो बाक़ी रह गई थी वो भी… continue reading