सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
आबा-ओ-अज्दाद पौने सात सौ साल का ज़िक्र है कि एक बुज़ुर्ग ज़ैनुल-आ’बिदीन नाम रौज़ा-ए-रसूल-ए-पाक के मुजाविरों में थे।इसी हाल में वहाँ उनको बरसों गुज़र गए।रसूल-ए-करीम की मोहब्बत से सरशार और रौज़ा-ए-अक़्दस की ख़िदमात में मस्त थे कि ख़ुद आँ-हज़रत सलल्ल्लाहु अ’लैहि व-सलल्लम ने एक रात ख़्वाब में फ़रमाया कि उठ और हिन्दुस्तान की सैर कर।आप… continue reading