online casino india

मधुमालती के अली मंझन शत्तारी राजगीरी

हज़रत इमाम हसन के वंश में से एक सूफ़ी हज़रत मीर सय्यद मोहम्मद हसनी बग़दाद से ख़ुरासान और ख़ुरासान से भारत आए और यहीं बस गए। आप का सिलसिला इस तरह हज़रत इमाम हसन से जा कर मिलता है- मीर सय्यद इमाद-उद्दीन हसनी बिन ताज-उद्दीन बिन मोहम्मद बिन अज़ीज़-उद्दीन हुसैन बिन मोहम्मद अल-क़रशी बिन अबू… continue reading

सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़

आबा-ओ-अज्दाद पौने सात सौ साल का ज़िक्र है कि एक बुज़ुर्ग ज़ैनुल-आ’बिदीन नाम रौज़ा-ए-रसूल-ए-पाक के मुजाविरों में थे।इसी हाल में वहाँ उनको बरसों गुज़र गए।रसूल-ए-करीम की मोहब्बत से सरशार और रौज़ा-ए-अक़्दस की ख़िदमात में मस्त थे कि ख़ुद आँ-हज़रत सलल्ल्लाहु अ’लैहि व-सलल्लम ने एक रात ख़्वाब में फ़रमाया कि उठ और हिन्दुस्तान की सैर कर।आप… continue reading

हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़

शाह-ए-दौला की चूहियाँ और चूहे अक्सर लोगों ने देखे होंगे।उनके सर छोटे-छोटे होते हैं।बाक़ी क़द-ओ-क़ामत और डील-डोल सब दूसरे लोगों से मिलती जुलती है।अक्सर लोगों का ऐ’तिक़ाद है कि अगर किसी बे-औलाद शख़्स को औलाद की ज़रूरत हो और वो शाह-ए-दौला साहब के मज़ार पर जा कर मिन्नत मान आए कि अगर मेरे हाँ ख़ुदा औलाद दे तो पहली औलाद ख़्वाह वो बेटी हो या बेटा हज़रत के मज़ार पर आ कर ब-तौर-ए-नज़्र पेश कर जाऊँगा तो अल्लाह तआ’ला उसकी मुराद पूरी कर देता है।

हज़रत शैख़ सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली अवधी चिश्ती

पुन मैं अख्खर की सुद्ध पाई
तुर्की लिख हिंदू की गाई
(फिर मैं ने इन लफ़्ज़ों की हक़ीक़त पा ली
तुर्की (फ़ारसी) में लिख लिख कर मैं ने हिंदवी को गाया)

सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ -मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी

है रहमत-ए-ख़ुदा करम-ए-औलिया का नाम
ज़िल्ल-ए-ख़ुदा है साया-ए-दामान-ए-औलिया

हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया सुहरावर्दी रहमतुल्लाह अ’लैह

राहतुल-क़ुलूब (मल्फ़ूज़ात-ए-हज़रत बाबा गंज शकर) में है कि जिस वक़्त हज़रत बहाउद्दीन ज़करिया का विसाल हुआ, उसी वक़्त अजोधन में हज़रत बाबा गंज शकर बेहोश हो गए।बड़ी देर के बा’द होश आया तो फ़रमाया कि-
“बिरादरम बहाउद्दीन ज़करिया रा अज़ीं बयाबान-ए-फ़ना ब-शहरिस्तान-ए-बक़ा बुर्दंद”