काउंट ग्लारज़ा का ख़त हज़रत वारिस पाक के नाम
सबा वारसी कहते हैं- दिलबर हो दिलरुबा हो आलम-पनाह वारिससुल्तान-ए-औलिया हो आलम-पनाह वारिस किस की मजाल है जो कशती मेरी डुबो देजब आप नाख़ुदा हो आलम-पनाह वारिस ये जान-ओ-दिल जिगर सब उस को निसार कर दूँजो तेरा बन गया हो आलम-पनाह वारिस हसरत यही है मेरी कि तो मेरे सामने होबाब-ए-करम खुला हो आलम-पनाह वारिस… continue reading