online casino india

Suf, Tasawwuf aur Mausiqi: Episode-1 (Fariduddin Ayaz)

We travelled by an auto rickshaw in the streets of Old Delhi, people from air conditioned SUVs rolled down their window to wish him with the humblest of salaams, he responded to them with his folded hands. Some strangers from the pavement recognized him at Connaught place and requested him to pray for them. He… continue reading

शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी(इस्तिदराक)अज़ जनाब मुहम्मद अय्यूब क़ादरी साहब

जनाब डॉ लतीफ़ हुसैन अदीब बरेलवी का एक फ़ाज़िलाना मक़ाला हज़रत शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी पर मआ’रिफ़ आ’ज़मगढ, जिल्द94 शुमारा नंबर 5 (नवंबर सन1965 ई’सवी) में शाए’ हुआ है।फ़ाज़िल मक़ाला-निगार ने हज़रत नियाज़ बरेलवी की शाइ’री पर अछूते अंदाज़ में तआ’रुफ़-ओ-तब्सिरा फ़रमाया है।उस मक़ाला के आख़िर में लिखा है : “ख़ानक़ाह-ए-नियाज़िया के ज़ख़ीरा-ए-नवादिरात में थोड़ा… continue reading

हज़रत क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार-ए-काकी के मजमूआ’-ए-मल्फ़ूज़ात फ़वाइदुस्सालिकीन का मुताला’ अज़ जनाब मौलाना अख़्लाक़ हुसैन देहलवी साहब

फ़वाइदुस्सालिकीन फ़ारसी नुस्ख़ा मतबूआ सन1310 हिज्री सन1891 ई’सवी मतबूआ’ मुज्तबाई, दिल्ली ,इंडिया, हजम 36  सफ़हात,  साइज़ 20 X 26 ये किताब क़ुतुबल-अक़्ताब हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ओशी  अल-मुतवफ़्फ़ा सन 633 हिज्री के गिराँ-क़दर मल्फ़ूज़ात  का मजमूआ’ है जिसे हज़रत बाबा फ़रीद मसऊ’द गंज शकर मुतवफ़्फ़ा सन 670 हिज्री ने मुदव्वन फ़रमाया था, ये मजमूआ’–ए-मल्फ़ूज़ात  सात मजालिस पर मुश्तमिल है हर मज्लिस के… continue reading

तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी-जनाब क़ाज़ी अहमद साहब अख़्तर जूनागढी

इख़्तिलाफ़-ए-सन : फ़ारसी शोरा के हालात में आ’म तौर पर सिनीन-ओ-तवारीख़ ब-लिहाज़-ए-सेहत मुश्तबा और बसा औक़ात मुख़्तलिफ़ पाई जाती हैं, लेकिन जैसा शदीद इख़्तिलाफ़ निज़ामी की तारीख़-ए-वफ़ात में है, शायद ही किसी शाइ’र या मुसन्निफ़ की निस्बत पाया गया हो, इसकी वजह ज़्यादा-तर यही मा’लूम हुई है कि निज़ामी की मस्नवियाँ जिनसे उनकी तारीख़-ए-वफ़ात पर इस्तिनाद किया जता… continue reading

Mulla Nasiruddin Modern tales-12

‘Blessing is excess, so to speak, an excess of everything. Don’t be content with being a faqih (religious scholar), say I want more – more than being a Sufi (a mystic), more than being a mystic – more than each thing that comes before you. Nasruddin loved this quote by his fellow guest from the… continue reading

सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़

आबा-ओ-अज्दाद पौने सात सौ साल का ज़िक्र है कि एक बुज़ुर्ग ज़ैनुल-आ’बिदीन नाम रौज़ा-ए-रसूल-ए-पाक के मुजाविरों में थे।इसी हाल में वहाँ उनको बरसों गुज़र गए।रसूल-ए-करीम की मोहब्बत से सरशार और रौज़ा-ए-अक़्दस की ख़िदमात में मस्त थे कि ख़ुद आँ-हज़रत सलल्ल्लाहु अ’लैहि व-सलल्लम ने एक रात ख़्वाब में फ़रमाया कि उठ और हिन्दुस्तान की सैर कर।आप… continue reading