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ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?

आज हम ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती जैसे बड़े सूफ़ी को याद करने के लिए बेशतर ऐसे क़िस्से बयान करते हैं, जो तहक़ीक़ से दूर हैं। उन लोगों के मनाक़िब तो इस ख़ूबी पर ख़त्म हैं कि वो ख़ुदा के महबूब हैं और हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के पिरान-ए-पीर हैं।

’अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी

उर्दू की तर्वीज-ओ-इशा’अत और फ़रोग़-ओ-इर्तिक़ा में सूफ़िया-ए-किराम ने जो ख़िदमात पेश कीं वो किसी साहिब-ए-नज़र से पोशीदा नहीं। इस ज़बान को ’अवाम के दरमियान मक़बूल बनाने और इसके अदबी सरमाए को वुस्’अत ’अता करने में उन ख़ुदा-रसीदा बुज़ुर्गों ने इब्तिदा ही से ग़ैर-मा’मूली कारनामे अंजाम दिए हैं। ये उन्हीं का फ़ैज़ान है कि ज़माना-ए-क़दीम ही… continue reading

हज़रत शाह वजीहुद्दीन ‘अलवी गुजराती-मौलाना सय्यद अबू ज़फ़र नदवी (मुदर्रिसः ’अरबी-ओ-फ़ारसी महाविद्यालय, अहमदाबाद)

गुजरात में सैकड़ों उ’लमा और अत्क़िया पैदा हुए और चल बसे लेकिन गुजरात के आसमान पर दो ऐसे आफ़ताब-ओ-माहताब चमके जिनके ’इल्मी कारनामों की शु’आऐं अभी तक परतव-फ़िगन हैं। उन में से एक मुहद्दिस-ए-बे-बदल ’अल्लामा शैख़ मोहम्मद ताहिर पटनी (गुजराती) हैं और दूसरी मुक़द्दस हस्ती हज़रत शाह वजीहुद्दीन ’अलवी गुजराती की है। इनसे पहले नेहरवाला… continue reading

लखनऊ का सफ़रनामा

लखनऊ के मुतअ’ल्लिक़ बृज नारायण चकबस्त ने बहुत पहले कहा था : ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है मिटाया गर्दिश-ए-अफ़्लाक ने जाह-ओ-हशम मेरा दिल्ली के बा’द हिन्दुस्तान का उजड़ने वाला ये दूसरा शहर है। ब-क़ौल मिर्ज़ा हादी रुसवा: दिल्ली छुटी थी पहले अब लखनऊ भी छोड़ें दो शहर थे ये अपने दोनों तबाह… continue reading

ईद वाले ईद करें और दीद वाले दीद करें

अपनी ख़ुशियाँ भूल जा सब का दर्द ख़रीद
‘सैफ़ी’ तब जा कर कहीं तेरी होगी ईद

Hazrat Imam Rabbani Shaikh Ahmad Farooqi Al-Sirhindi

The Land of Hindustan is an abode of Sufism and Dargahs. In India, faith is the strongest bond that cements the social fabric amongst people and this is the reason why Sufism as a spiritual path in the Indian sub-continent. Sufism in India shows the path not only to enlighten Muslims, but is also followed by people… continue reading