हज़रत शाह ‘अकबर’ दानापुरी और “हुनर-नामा”
फिरेंगे कैसे दिन हिंदुस्ताँ के
बला के ज़ुल्म हैं इस आसमाँ के
अगर हिंदू-मुसलमाँ मेल कर लें
अभी घर अपने ये दौलत से भर लें
गया इक़्बाल फिर आए हमारा
अभी इदबार गिर जाए हमारा
इलाही एक दिल हो जाएं दोनों
वज़ारत इंडिया की पाएं दोनों