ख़ानक़ाह-ए-फुलवारी शरीफ़ के मरासिम-ए-उ’र्स
फुलवारी की ख़नाकाह और सज्जादा-ओ-सिलसिला-ए-हज़रत ताजुल-आ’रिफ़ीन आ’फ़्ताब-ए-तरीक़त मख़दूम शाह मोहम्मद मुजीबुल्लाह क़ादरी क़लंदर फुलवारवी की ज़ात-ए-बा-बरकात से वाबस्ता और उन्हीं के नाम-ए-नामी पर मौसूम है। ज़ैल में उस ख़ानकाह के मा’मूलात-ओ-मरासिम-ए-उ’र्स हदिया -ए-नाज़िरीन किए जाते हैं।यहाँ आ’रास की तक़रीबें मुतअ’द्दिद और ब-कसरत होती हैं लेकिन सब से पहला और मुक़द्दस और सब से ज़ियादा मुहतम-बिश्शान… continue reading