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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

Mulla Nasiruddin Modern Tales 10

“In tolerance, be like the sea”—a message of wholehearted acceptance that’s very much the need of the hour. Inscribed somewhere in Konya, on a wall. Believed to be a quote of Mevlana Rumi.

सतगुरू नानक साहिब

बाबा प्यारे! हमको ये बता कि आ’लिम और जाहिल में क्या फ़र्क़ है? इर्शाद हुआ:
“आ’लिम एक तालाब की मानिंद है।जाहिल और मुतअ’स्सिब लोग जो इर्फ़ान-ए-इलाही से बे-नसीब हैं मेंढ़क की तरह कीचड़ में फंसे हुए हैं।और आ’रिफ़ान-ए-अहदियत उस तालाब में कंवल के फूल हैं और तालिबान-ए-हक़ भँवरे हैं।
“मेंढ़क कंवल के पास ही रहता है लेकिन हक़ीक़त में हज़ारों कोस दूर है क्यूँकि कंवल की ख़ुशबू से बे-बहरा है।और भौंरा जंगल में रहता है मगर चूँकि वो ख़ुश्बू की लज़्ज़त और कंवल रस का शाएक़ होता है,दूर से आ कर लुत्फ़-ए-सोहबत उठाता है और तसल्ली-ए-राहत पाता है।”

हज़रत हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी फ़िरदौसी

हज़रत इब्राहीम बिन अद्हम बल्ख़ी सिल्सिला-ए-सुलूक-ओ-मा’रिफ़त के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग गुज़रे हैं।जिन्हों ने बल्ख़ की बादशाहत और फ़रमा -रवाई छोड़कर नजात-ए-हक़ीक़ी और फ़लाह-ए-उख़्रवी में सुलूक-ओ-मा’रिफ़त की राह इख़्तियार की।हज़रत हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी उसी सिल्सिला-ए-ख़ानदान की औलाद हैं।हिन्दुस्तान में इब्राहीम बिन अद्हम बल्ख़ी के ख़ानदान का वुरूद हज़रत शम्सुद्दीन बल्ख़ी से हुआ।जब ये… continue reading

हज़रत सय्यद शाह रफ़ी’उद्दीन क़ादरी मुहद्दिस अकबराबादी

शहर-ए-अकबराबाद के सूफ़िया-ए-किराम में जिन अव्वलीन शख़्सियतों ने ख़ानक़ाही ता’लीमात और तसव्वुफ़ को आ’म किया उनमें हज़रत सय्यद रफ़ी’उद्दीन मुहद्दिस का नाम आगरा की तारीख़ में सफ़हा-ए-अव्वल में आता है।सादात-ए-सफ़विया का तअ’ल्लुक़ हज़रत शाह सफ़ी से है जो एक सय्यद सहीहुन्नसब, आ’बिद, ज़ाहिद परेज़-गार उर्दबेल इ’लाक़ा आज़रबाईजान के थे। उज़लत का गोशा उनकी सब्र-ओ-क़नाअ’त से रौशन… continue reading