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हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल

हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल साहिब-ए-दिल थे, आप साहब-ए-कश्फ़-ओ- करामात,सनद-ए-औलिया और हुज्जत-ए-मशाएख़-ए-वक़्त,मुशाहिदात-ओ- मक़ालात-ए-‘आली में यकता,तमाम मशाएख़-ए-वक़्त के कमालात-ए-सुवरी-ओ- मा’नवी के मक़र्र थे। आप हज़रत बाबा फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर के हक़ीक़ी भाई, मुरीद और ख़लीफ़ा थे। ख़ानदानी हालात: आप फ़र्रूख़ शाह के ख़ानदान से थे, फ़र्रूख़ शाह काबुल के बादशाह थे, जब गज़नी ख़ानदान का ऊ’रुज… continue reading

हज़रत मख़्दूम सय्यद शाह दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी

हज़ारों साल तक ही ख़िदमत-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कर के ज़माने में कोई एक बा-ख़ुदा दरवेश होता है इस ख़ाकदान-ए-गेती पर हज़ारों औलिया-ए-कामिलीन ने तशरीफ़ लाकर अपने हुस्न-ए-विलायत से इस जहान-ए-फ़ानी को मुनव्वर फ़रमाया और अपने किरदार-ए-सालिहा से गुलशन-ए-इस्लाम के पौदों को सर-सब्ज़-ओ-शादाब रखा। अगर ग़ज़नवी-ओ-ग़ौरी जैसे मुबल्लिग़-ए-आ’ज़म सलातीन के अहम मा’रकों को हम फ़रामोश नहीं कर सकते… continue reading

आज रंग है !

रंगों से हिंदुस्तान का पुराना रिश्ता रहा है. मुख़्तलिफ़ रंग हिंदुस्तानी संस्कृति की चाशनी में घुलकर जब आपसी सद्भाव की आंच पर पकते हैं तब जाकर पक्के होते हैं और इनमें जान आती है. यह रंग फिर ख़ुद रंगरेज़ बन जाते हैं और सबके दिलों को रंगने निकल पड़ते हैं. होली इन्हीं ज़िंदा रंगों का त्यौहार है.

क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद जौनपूरी उ’स्मानी अज़ मौलाना हबीबुर्रहमान आ’ज़मी, जौनपुर

क़ुदरत का ये अ’जीब निज़ाम है कि एक की बर्बादी दूसरे की आबादी का सबब होती है, एक जानिब एक शहर उजड़ता है तो दूसरी तरफ़ दूसरा आबाद होता हैI  यही हमेशा से चला आता रहा है, इसी कानून-ए-फ़ितरत के तहत जब फ़ित्ना-ए-तैमूरी की हलाकत-ख़ेज़ियों से मग़रिब में दिल्ली की इ’ल्मी, तमद्दुनी और मुआ’शरती दुनिया में बाद-ए-ख़िज़ां के… continue reading

शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है अज़ जनाब मौलवी मुहम्मद ए’जाज़ हुसैन  ख़ान साहब, रईस-ए-पटना

शैख़ सा’दी के मुआ’सिर शम्स बिन क़ैस राज़ी की तसनीफ़ अल-मो’जम फ़ी-मआ’इर-ए-अशआ’रिल  अ’जम, मिर्ज़ा मुहम्मद बिन अ’ब्दुल वहाब क़ज़वीनी के तर्तीब-ओ-तहशिया से शाए’ हुई है, इस पर मिर्ज़ा साहब का एक बसीत आ’लिमाना मुक़द्दमा भी सब्त है। इस मुक़द्दमा में मिर्ज़ा साहब मौसूफ़ ने शैख़ सा’दी के तख़ल्लुस पर इस तक़रीब से नज़र डाली है कि इस मुआ’सिर… continue reading

शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी(इस्तिदराक)अज़ जनाब मुहम्मद अय्यूब क़ादरी साहब

जनाब डॉ लतीफ़ हुसैन अदीब बरेलवी का एक फ़ाज़िलाना मक़ाला हज़रत शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी पर मआ’रिफ़ आ’ज़मगढ, जिल्द94 शुमारा नंबर 5 (नवंबर सन1965 ई’सवी) में शाए’ हुआ है।फ़ाज़िल मक़ाला-निगार ने हज़रत नियाज़ बरेलवी की शाइ’री पर अछूते अंदाज़ में तआ’रुफ़-ओ-तब्सिरा फ़रमाया है।उस मक़ाला के आख़िर में लिखा है : “ख़ानक़ाह-ए-नियाज़िया के ज़ख़ीरा-ए-नवादिरात में थोड़ा… continue reading