अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की तीसरी क़िस्त
द्वितीय उल्लास (भगवान् की पहचान) पहली किरण शरीर और संसार की वस्तुओं पर विचार करने से भगवान् की पहचान सन्तों का यह वचन प्रसिद्ध है और उन्होंने यही उपदेश दिया है कि जब तुम अपने-आपको पहचानोगे तभी निःसन्देह भगवान् को भी पहचान सकोगे। प्रभु भी कहते हैं कि जिसने अपने आत्मा और मन को… continue reading