ख़्वाजा शम्सुद्दीन मुहम्मद ‘हाफ़िज़’ शीराज़ी
लिसानुल-ग़ैब(‘अज्ञात का स्वर’ या स्वार्गिक रहस्यों के व्याख्याता) ख़्वाजा शमसुद्दीन मुहम्मद हाफ़िज़(1315-1390 ई.) ने आठवीं सदी हिजरों में अपनी ग़ज़लों से तसव्वुफ़ के एक बिल्कुल नए रहस्यमयी संसार का दरवाज़ा सबके लिए खोल दिया। हाफ़िज़ के जीवन के संबंध में बहुत कम जानकारी मिलती है। उनके समकालीन लोगों ने भी उनके विषय में कम ही… continue reading