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Suf, Tasawwuf aur Mausiqi: Episode-1 (Fariduddin Ayaz)

We travelled by an auto rickshaw in the streets of Old Delhi, people from air conditioned SUVs rolled down their window to wish him with the humblest of salaams, he responded to them with his folded hands. Some strangers from the pavement recognized him at Connaught place and requested him to pray for them. He… continue reading

हज़रत हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी फ़िरदौसी

हज़रत इब्राहीम बिन अद्हम बल्ख़ी सिल्सिला-ए-सुलूक-ओ-मा’रिफ़त के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग गुज़रे हैं।जिन्हों ने बल्ख़ की बादशाहत और फ़रमा -रवाई छोड़कर नजात-ए-हक़ीक़ी और फ़लाह-ए-उख़्रवी में सुलूक-ओ-मा’रिफ़त की राह इख़्तियार की।हज़रत हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी उसी सिल्सिला-ए-ख़ानदान की औलाद हैं।हिन्दुस्तान में इब्राहीम बिन अद्हम बल्ख़ी के ख़ानदान का वुरूद हज़रत शम्सुद्दीन बल्ख़ी से हुआ।जब ये… continue reading

हज़रत सय्यद शाह रफ़ी’उद्दीन क़ादरी मुहद्दिस अकबराबादी

शहर-ए-अकबराबाद के सूफ़िया-ए-किराम में जिन अव्वलीन शख़्सियतों ने ख़ानक़ाही ता’लीमात और तसव्वुफ़ को आ’म किया उनमें हज़रत सय्यद रफ़ी’उद्दीन मुहद्दिस का नाम आगरा की तारीख़ में सफ़हा-ए-अव्वल में आता है।सादात-ए-सफ़विया का तअ’ल्लुक़ हज़रत शाह सफ़ी से है जो एक सय्यद सहीहुन्नसब, आ’बिद, ज़ाहिद परेज़-गार उर्दबेल इ’लाक़ा आज़रबाईजान के थे। उज़लत का गोशा उनकी सब्र-ओ-क़नाअ’त से रौशन… continue reading

Nizamuddin Auliya: A life spent in bringing happiness to the human heart

Whenever Bibi Zuleikha looked at her son’s feet, she would say: “Nizamuddin, I see the signs of a bright future. You will be a man of destiny some day.” Nizamuddin returned to Delhi from Ajodhan after spending time with his master Baba Farid, learning the life and ways of Chishti Sufis. The creed was simple: Devote your… continue reading

कलाम-ए-‘हाफ़िज़’ और फ़ाल-मौलाना मोहम्मद मियाँ साहिब क़मर देहलवी,मस्जिद फ़त्हपुरी देहली

एक बहुत बड़ा तबक़ा है जो अपनी मुहिम्मात और पेश आने वाले वाक़िआ’त में ‘हाफ़िज़’ के कलाम से फ़ाल निकाल कर अपने क़ल्ब को मुत्मइन करता रहा है और हाफ़िज़ की सदा को एक ग़ैबी आवाज़ यक़ीन कर के अपने कामों की उसको बुनियाद बनाता रहा है और हाफ़िज़-ओ-कलाम-ए-हाफ़िज़ को लिसानुल-ग़ैब का दर्जा देता रहा है।

हज़रत मख़दूम-ए-कबीर शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह ख़ैराबादी (814 – 922 हि•)

हज़रत मख़दूम-ए-कबीर, हज़रत ख़्वाजा क़ाज़ी क़िदवतुद्दीन अलमारूफ़ क़ाज़ी क़िदवा क़ुद्दस-सिर्रहु की औलाद में हैं । हज़रत क़ाज़ी क़िदवा, हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद व ख़लीफ़ा और सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के पीर भाई थे । मुर्शिद के हुक्म पर आप हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए और अवध में क़याम पज़ीर हुए ।हज़रत मख़दूम शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह के वालिद का नाम मख़दूम क़ाज़ी बदरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह अलमारूफ़ क़ाज़ी बुडढन रहमतुल्लाह अलैह है जो शहर उन्नाव के हाकिम व क़ाज़ी भी थे।