रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार-कृष्णचन्द्र वर्मा
रसखान के जीवनवृत्त पर सर्वप्रथम प्रकाश डालने का श्रेय श्री किशोरीलाल गोस्वामी को है। वे रसखान की रचनाओं के अनन्य भक्त थे तथा बड़े श्रम से उन्होंने रसखान के काव्य और जीवनवृत्त से हिन्दी के साहित्यानुरागियों को सन् 1891 में ‘सुजान रसखान’ नामक ग्रंथ द्वारा परिचित कराया। लगभग 50 वर्ष तक हिंदी के विद्वानों… continue reading