बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा- (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से)
क़ुरआन-ए-मजीद में इर्शाद है ‘लक़द मन्नल्लाहु अ’लल-मोमिनीना-इज़ा-ब’असा-फ़ीहिम रसूलन मिन-अन्फ़ुसिहिम यतलू अ’लैहिम आयातिहि-व-युज़क्कीहिम-व-युअल्लि’मुहुमुल-किताबा-वल-हिकमत’.(आल-ए-इ’मरान) या’नी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अ’लैहि-व-सल्लम की बि’सत का मक़्सद ये हुआ कि वो लोगों को अल्लाह तआ’ला की आयात-ओ-निशानियों से बा-ख़बर करें।उनके नुफ़ूस का तज़्किया-ओ-निशानियों से ज़िंदगियाँ निखारें और सँवारें और उन्हें किताब-ओ-हिक्मत का सबक़ पढ़ाऐं। जिस तरह पैग़म्बरों की बि’सत मख़्लूक़ पर एहसान-ए-अ’ज़ीम… continue reading