नाथ-योगी-सम्प्रदाय के ‘द्वादश-पंथ’-परशुराम चतुर्वेदी
नाथ-योगी सम्प्रदाय के इतिहास पर विचार करते समय हमारी दृष्टि, स्वभावतः, इसके उन अनेक पंथों व शाखा-प्रशाखाओं की ओर भी चली जाती है जिनके विभिन्न केन्द्र भारत के प्रायः प्रत्येक भाग में बिखरे पड़े हैं। उनके विषय में कभी-कभी ऐसा कहा जाता है कि वे पहले, केवल 12 पृथक्-पृथक् संस्थाओं के ही रूप में, संघटित… continue reading