मंसूर हल्लाज
हज़रत हुसैन बिन मंसूर हल्लाज की शहादत का क़िस्सा लिखने से पहले ये बता देना ज़रूरी है कि आपका फ़साना इस क़दर पेचीदा और पुर-असरार है कि इस मुख़्तसर बयान में समाता मा’लूम नहीं होता। शोर-ए-मंसूर अज़ कुजा-ओ-दार-ए-मंसूर अज़ कुजा। ख़ुद ज़दी बांग-ए-अनल-हक़ बर सर-ए-दार आमदी।। ये कुछ ईरान-ओ-अ’रबिस्तान ही में नहीं बल्कि अक्सर मुल्कों… continue reading