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Suf, Tasawwuf aur Mausiqi: Episode-1 (Fariduddin Ayaz)

We travelled by an auto rickshaw in the streets of Old Delhi, people from air conditioned SUVs rolled down their window to wish him with the humblest of salaams, he responded to them with his folded hands. Some strangers from the pavement recognized him at Connaught place and requested him to pray for them. He… continue reading

ज़िक्र-ए-ग़ौस-ए-आ’ज़म अ’ब्दुल-क़ादिर जीलानी- हज़रत मैकश अकबराबादी

इस्म-ए-मुबारक अ’ब्दुल-क़ादिर,लक़ब मुहीउद्दीन और कुन्नियत अबू-मोहम्मद है।नसब-ए-मुबारक वालिद-ए-बुज़ुर्गवार की तरफ़ से इमाम-ए-दोउम हज़रत सय्यिदिना हसन अ’लैहिस्सलाम तक और मादर-ए-मोहतरमा की जानिब से इमाम-ए-सेउम हज़रत सय्यदुश्शुहदा इमाम हुसैन अ’लैहिस्सलाम तक पहुंचता है। शैख़ अ’ब्दुल-हक़ मुहद्दिस दिहलिवी ने आपका ज़िक्र-ए-मुबारक और सन-ए-विलादत-ओ-वफ़ात का ज़िक्र इस तरह किया है। क़ुतुबुल-अक़ताब,फ़र्दुल-अहबाब,ग़ौसुल-आ’ज़म,शैख़-ए-शुयूख़ुल-आ’लम,ग़ौसुस्सक़लैन,इमामुत्ताइफ़ीन,शैख़ुत्तालिबीन,शैख़ुल-इस्लाम मुहीउद्दीन अबू मोहम्मद अ’ब्दुल-क़ादिर अल-हसनी-अल-हुसैनी अल-जीलानी रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु… continue reading

वेदान्त – हज़रत मैकश अकबराबादी

हम कौन हैं,काएनात क्या है,तख़्लीक़ का मक़्सद क्या है,इस ज़िंदगी के सफ़र की इंतिहा क्या है,नजात और उसके हासिल करने के ज़रीऐ’ क्या हैं,ये और इस क़िस्म के कई अहम सवाल हैं जिनको फ़ल्सफ़ी दलीलों से हल करना चाहते हैं  मुक़ल्लिदीन अपने रहबरों के अक़वाल से,आ’रिफ़ अपने कश्फ़-ओ-शुहूद और विज्दान से फ़ल्सफ़ा-ए-हक़ीक़त की जुस्तुजू से।मगर… continue reading

ख़ानक़ाह-ए-फुलवारी शरीफ़ के मरासिम-ए-उ’र्स

फुलवारी की ख़नाकाह और सज्जादा-ओ-सिलसिला-ए-हज़रत ताजुल-आ’रिफ़ीन आ’फ़्ताब-ए-तरीक़त मख़दूम शाह मोहम्मद मुजीबुल्लाह क़ादरी क़लंदर फुलवारवी की ज़ात-ए-बा-बरकात से वाबस्ता और उन्हीं के नाम-ए-नामी पर मौसूम है। ज़ैल में उस ख़ानकाह के मा’मूलात-ओ-मरासिम-ए-उ’र्स हदिया -ए-नाज़िरीन किए जाते हैं।यहाँ आ’रास की तक़रीबें मुतअ’द्दिद और ब-कसरत होती हैं लेकिन सब से पहला और मुक़द्दस और सब से ज़ियादा मुहतम-बिश्शान… continue reading

ताजुल-आ’रिफ़ीन मख़दूम शाह मुजीबुल्लाह क़ादरी – शुऐ’ब रिज़वी मुजीबी फुलवारवी

आप ख़ानदान-ए-जा’फ़रिया के बेहतरीन अहफ़ाद से हैं। आपका ख़ानदान सूबा-ए-बिहार के उस मुतबर्रक क़स्बा फुलवारी में (जो अ’ज़ीमाबाद से 6 कोस के फ़ासिला पर जानिब –ए-मग़्रिब वाक़ि’ है) चार-सौ बरस से आबाद है और हमेशा इ’ल्म-ओ-फ़ज़्ल में यगाना-ए-रोज़गार रहा। दसवीं सदी हिज्री के इब्तिदा में ताजुल-आ’रिफ़ीन के जद्द-ए-आ’ला हज़रत शाह सा’दुल्लाह जा’फ़री ज़ैनबी ने (जो… continue reading

अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब

अल्बेरूनी का पूरा नाम था अबू रैहान मुहम्मद इब्न-ए-अहमद अल्बेरूनी। उस का जन्म ख़्वारज़्म में 973 सदी ईस्वी में हुआ था। अपने जन्म स्थान में रहते हुए ही उस ने राजनीति में तथा विज्ञान और साहित्य में अच्छी ख़्याति प्राप्त कर ली थी। परंतु अन्य मध्य एशियाई राज्यों की भाँति ख़्वारज़्म भी सुल्तान महमूद की… continue reading