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Suf, Tasawwuf aur Mausiqi: Episode-1 (Fariduddin Ayaz)

We travelled by an auto rickshaw in the streets of Old Delhi, people from air conditioned SUVs rolled down their window to wish him with the humblest of salaams, he responded to them with his folded hands. Some strangers from the pavement recognized him at Connaught place and requested him to pray for them. He… continue reading

अमीर ख़ुसरो- तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत-डॉक्टर अनवारुल हसन

हिन्दुस्तान ज़माना-ए-क़दीम से अपनी रंग-बिरंगी तहज़ीब के लिए एशिया के मुल्कों में इम्तियाज़ी हैसियत का हामिल रहा है।ग़ैर मुल्की अक़्वाम की आमद से यहाँ के तहज़ीबी सरमाया में नए धारे शामिल होते रहे और उनके असरात हमेशा रू-नुमा होते रहे।क़ुदरत से भी इस मुल्क को जुग़्राफ़ियाई ए’तबार से मुतनव्विअ’आब-ओ-हवा मिली है जिसके नुक़ूश कश्मीर से… continue reading

हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा- मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी

जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के इख़्तिलाफ़ के बावजूद अहल-ए-हिंद के ख़याल, एहसास और ज़िंदगी में एक गहरी वहदत मौजूद है जो तरक़्क़ी के दौर में ज़्यादा और तनज़्ज़ुल के दौर में कम होती रहती है। अमीर ख़ुसरो 653 हिज्री में ब-मक़ाम-ए-पटियाली पैदा हुए और… continue reading

अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री-डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग

सूफ़ियों के अ’क़ीदे में ख़ुदा की ज़ात ही सबसे अहम-तरीन है। जिसके तसव्वुर में इन्सान मुस्तग़रक़ हो जाए उनका कहना है कि ये इन्सानी अ’क़्ल के बस से बाहर है कि वो ख़ुदा को समझ सके और उसकी ता’रीफ़-ओ-तमजीद कर सके।दिमाग़-ए-इन्सानी ज़मान-ओ-मकान में महदूद है इसलिए जो शय ज़मान-ओ-मकान के हुदूद से मावरा हो, उस… continue reading

Learn from the Hindu how worship is done: Amir Khusro

There are as many paths as there are grains of sand. -Nizamuddin Auliya Oh you who sneer at the idolatry of the Hindu, Learn also from him how worship is done. –Amir Khusro Six yogis once came to Nizamuddin’s hospice in Ghiyaspur and started to meditate in front of his door. They did not utter… continue reading

अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती-डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी

आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है । देखना ये है कि हज़रत अमीर ख़ुसरो ने ज़िंदगी की इस रंगा-रंगी को किस नज़र से देखा है और इसको किस तरह बरता है । इन्सान-दोस्ती का वो कौन सा नसबुल-ऐ’न है जो अमीर ख़ुसरो के सिल्सिला से… continue reading