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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

हज़रत शैख़ अ’लाउ’द्दीन क़ुरैशी-ग्वालियर में नवीं सदी हिज्री के शैख़-ए-तरीक़त और सिल्सिला-ए-चिश्तिया के बानी

हिन्दुस्तान की तारीख़ भी कितनी अ’ज़ीब तारीख़ है। यहाँ कैसी कैसी अ’दीमुन्नज़ीर शख़्सियतें पैदा हुईं। इ’ल्म-ओ-इर्फ़ान के कैसे कैसे सोते फूटे।
हिंदुस्तान से अ’रब का तअ’ल्लुक़ एक क़दीम तअ’ल्लुक़ है। मशाएख़ीन-ए-तरीक़त ने अपनी बे-दाग़ ज़िंदगी यहाँ अ’वाम के सामने रखी। यहाँ की बोलियों में उनसे कलाम किया।

हज़रत मुन्इ’म-ए-पाक अबुल-उ’लाई-शाह हुसैन अब्दाली इस्लामपुरी

आपने अपनी सारी ज़िंदगी फ़क़्र-ओ-फ़ाक़ा में बसर की।और रहने के लिए मकान नहीं बनाया और न मुतअह्हिल हुए। आप उमरा से मिलते थे और न नज़्र क़ुबूल करते थे और न अपने पास रुपया पैसा ही रखते थे।

सिर्र-ए-हक़ रा बयाँ मुई’नुद्दीन

गांधी जी जब 1922 में दरगाह पर हाज़िर हुए तो आपने तक़रीर करते हुए कहा कि लोग अगर सच्चे जज़्बे के साथ ख़्वाजा साहिब के दरबार में जाएं तो आज भी उनके बातिन के बहुत सी ख़राबियाँ हमेशा के लिए ना-पैद हो सकती हैं और आदमी अपने अंदर ग़ैर-मा’मूली क़ुव्वत का इद्राक कर सकता है। मुझे ये देखकर दुख होता है कि आ’म तौर पर लोग सिर्फ़ दुनियावी मक़ासिद लेकर ख़्वाजा साहिब के पास जाते हैं और ये नहीं सोचते कि उनकी पूरी ज़िंदगी अंदर की ता’लीम देते गुज़रे।उन्होंने रूह की रौशनी को बाक़ी रखने के लिए जो पैग़ाम दिया उसे कोई नहीं सुनता।नहीं तो ये एक दूसरे से लड़ने झगड़ने की बात क्यूँ करते।

बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी संत-मख़दूम मुन्इ’म-ए-पाक

मख़दूम मुन्इ’म-ए-पाक के जीवन का उद्देश्य मानवता से प्रेम करना, नफ़रतों के बाज़ार में मुहब्बतों का चराग़ जलाना और इन्सान को इन्सान से मिलाना था ताकि पूरी दुनिया मुहब्बतों के रंग में रंग जाए।

हाज़ा हबीबुल्लाहि मा-त-फ़ी हुब्बिल्लाह का तहक़ीक़ी जाएज़ा

ख़्वाजा-ए-आ’ज़म ने जब आ’लम-ए-ख़ाक-ओ-बार को ख़ैरबाद कहा, उस वक़्त आपकी पेशानी परः हाज़ा हबीबुल्लाहि मा-त फ़ी-हुब्बिल्लाह।(ये अल्लाह का दोस्त है जिसने अल्लाह की मुहबब्त में जान दे दी) के कलिमात ज़ाहिर हुए।