online casino india

मधुमालती के अली मंझन शत्तारी राजगीरी

हज़रत इमाम हसन के वंश में से एक सूफ़ी हज़रत मीर सय्यद मोहम्मद हसनी बग़दाद से ख़ुरासान और ख़ुरासान से भारत आए और यहीं बस गए। आप का सिलसिला इस तरह हज़रत इमाम हसन से जा कर मिलता है- मीर सय्यद इमाद-उद्दीन हसनी बिन ताज-उद्दीन बिन मोहम्मद बिन अज़ीज़-उद्दीन हुसैन बिन मोहम्मद अल-क़रशी बिन अबू… continue reading

हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी- ख़्वाजा हसन सानी निज़ामी

ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान, हज़रत ख़्वाजा अजमेरी रहमतुल्लाहि अलै’ह हिन्दुस्तान में भेजे हुए आए थे।वो नाइब-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम और अ’ता-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम हैं। सरकार-ए-दो-आ’लम सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम के रुहानी इशारे और हुक्म पर उन्होंने हमारी इस धरती के भाग्य जगाए लेकिन उनके जानशीन हज़रत ख़्वाजा क़ुतुब  रहमतुल्लाहि अलै’ह का दम क़दम, हम दिल्ली वालों की मोहब्बत और अ’क़ीदत का… continue reading

अलाउल की पद्मावती-वासुदेव शरण अग्रवाल

मलिक मुहम्मद जायसी कृत पद्मावत की व्याख्या लिखते हुए मेरा ध्यान पद्मावत के अन्य अनुवादों की ओर भी आकृष्ट हुआ। उनमें कई फ़ारसी भाषा के अनुवाद विदित हुए। किन्तु एक जिसकी और हिन्दी जगत का विशेष ध्यान जाना चाहिए वह बंगाली भाषा में किया हुआ वहाँ के प्रसिद्ध मुसलमान कवि अलाउल का अनुवाद है। यह… continue reading

Modern Tales of Mullah Nasiruddin -9

Out beyond ideas of wrongdoing and right doingthere is a field. I’ll meet you there.(Barks, the Essential Rumi, 36) The cop stopped his car near a coffee shop in Meram, in the outskirts of Konya. Nasruddin came out to face the young cop who had just been commissioned a year back. He showed his passport with… continue reading

रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार-कृष्णचन्द्र वर्मा

      रसखान के जीवनवृत्त पर सर्वप्रथम प्रकाश डालने का श्रेय श्री किशोरीलाल गोस्वामी को है। वे रसखान की रचनाओं के अनन्य भक्त थे तथा बड़े श्रम से उन्होंने रसखान के काव्य और जीवनवृत्त से हिन्दी के साहित्यानुरागियों को सन् 1891 में ‘सुजान रसखान’ नामक ग्रंथ द्वारा परिचित कराया। लगभग 50 वर्ष तक हिंदी के विद्वानों… continue reading

कविवर रहीम-संबंधी कतिपय किवदंतियाँ -याज्ञिकत्रय

      प्रसिद्ध पुरुषों के विषय में जो जनश्रुतियाँ साधारण जन-समाज में प्रचलित हो जाती हैं, वे सर्वथा निराधार नहीं होतीं। यद्यपि उनमें कल्पना की मात्रा अधिक होती है, तथापि उनका ऐतिहासिक मूल्य भी कुछ-न-कुछ अवश्य होता है। किवदंतियों में मनोरंजन की सामग्री भी होती है, इस कारण वे मौखिक रूप में हो अनेकों शताब्दियों तक… continue reading