Articles By Sufinama

Sufism transcends religion, language, nationality and has, over the years, emerged as a unifying force that moves us beyond the physical realm, into a spiritual one. Sufinama is dedicated to the legend of #Sufis and #Saints of Indian Subcontinent and all over the world. #Sufinama. #Sufism

Qawwalon ke Qisse -11 -Aziz Miyan Qawwal ka Qissa

अज़ीज़ मियां मेरठी इकलौते ऐसे अनोखे क़व्वाल थे जो अपनी क़व्वालियाँ खुद लिखते थे ।साबरी ब्रदर्स और इनमें एक प्रतिद्वंदिता चलती थी।1975 में अज़ीज़ मियां का नया एल्बम ‘मैं शराबी’ आया, उसी साल साबरी ब्रदर्स का भी नया एल्बम ‘भर दो झोली मेरी या मुहम्मद’बाज़ार में आया जिसके गीत पुरनम इलाहाबादी ने लिखे थे ।… continue reading

Qawwalon ke Qisse-10 Sheikh Manjhu Qawwal ka Qissa

शैख़ मंझू जौनपुर में ही पैदा हुए और वहीं उनकी मृत्यु हुई।वह बचपन से ही संगीत के बड़े प्रेमी थे। मख़्दूम शाह अढ़हन के यहाँ मजलिसों में वह रोज़ उपस्थित रहते थे। यहाँ बड़े बड़े क़व्वाल आया करते थे ।मख़्दूम साहब के निर्देशानुसार मंझू ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की।कंठ में मानो ईश्वर का का… continue reading

Qawwalon ke Qisse-9 Meraj Ahmad Nizami ka Qissa

हैदराबाद के सूफ़ी शैख़ एवं शाइर अब्दुल क़ादिर सिद्दीक़ी हसरत ने मौसीक़ी को एक विज्ञान की तरह सीखा न कि प्रदर्शन हेतु। अपने आध्यात्मिक मक़ाम कि वजह से वह माहिरीन-ए-फ़न के घरों या कूचा –ओ-बाज़ार के चक्कर नहीं लगा सकते थे इस कारण से उन्होंने संगीत सीखने का आधुनिक तरीक़ा इख़्तियार किया। बाज़ार में उपलब्ध… continue reading

Qawwalon ke Qisse-8 Khairabad ke Qawwalon ka Qissa

मदन ख़ान नामक से शख़्स अमरोहा के पास रहते थे।वह श्याम-वर्ण के थे और उनकी कद काठी भी अजीब थी। ख़ैराबाद आकर वह शैख़ सअदुद्दीन ख़ैराबादी की ख़ानक़ाह में रहने लगे । उनकी आवाज़ बड़ी अच्छी थी और हज़रत अक्सर उनका गाना सुनते थे।उन्ही दिनों क़न्नौज की एक खूबसूरत गायिका ख़ैराबाद आई हुई थी।मदन साहब… continue reading

Qawwalon ke Qisse-7 Habeeb Painter Qawwal ka Qissa

भारत-चीन युद्ध के समय जब पूरा देश एकता के सूत्र में बंध गया था,उस नाज़ुक दौर में अवाम को जगाने और सैनिकों का हौसला बढ़ाने का बीड़ा क़व्वाल हबीब पेंटर ने उठाया। उनकी क़व्वालियों से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हबीब पेंटर को बुलबुल-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित किया ।हबीब… continue reading

Qawwalon ke Qisse-4 Murli Qawwal ka Qissa

लखनऊ के क़व्वाल कन्हैया के औलाद नहीं थी । वह अपने पीर साहब के हुज़ूर पेश हुए और उनसे अपनी यह परेशानी बताई । पीर साहब ने अर्ज़ किया – कन्हैया ! तेरे घर पर मुरली बजेगी ! और ऐसा ही हुआ । कन्हैया को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । उन्होंने अपने बेटे का… continue reading

Qawwalon ke Qisse -3 Shankar-Shambhu Qawwal ka Qissa

शंकर शम्भू क़व्वाल का नाम आज कौन नहीं जानता । एक बार शंकर और शम्भू ख्व़ाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर हाज़िरी देने पहुंचे । उन्हें वहां गाने का मौका नहीं दिया गया क्यूंकि एक तो वह नए थे और दुसरे क़व्वालों की एक लंबी फ़ेहरिश्त कतार में खड़ी थी । यह देखकर बड़े भाई… continue reading

Qawwalon ke Qisse-2 Nusrat Sahab ka Qissa

एक बार नुसरत साहब नींद में एक घंटा गाते रहे।जब नींद खुली तो उन्होंने बताया कि ख्व़ाब में वह किसी मज़ार पर थे जहाँ उनके पिता फ़तेह अ’ली ख़ान साहब ने उन्हें कलाम पढ़ने का हुक्म दिया।इस घटना को घर के बड़े लोगों ने एक रूहानी संकेत के तौर पर लिया और नुसरत साहेब को… continue reading

Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)

सूफ़ी-संतों ने हमें सिर्फ़ जीवन जीने की राह ही नहीं बतायी बल्कि अपने पीछे वह अपना विपुल साहित्य भी छोड़ गए जिनसे आने वाली पीढियाँ फैज़ हासिल करती रहीं. सूफ़ी-संतों का साहित्य पढ़कर बमुश्किल यक़ीन होता है कि उस दौर में उनके उठाये गए प्रश्न और उन प्रश्नों पर उनके विचार आज भी उतने ही… continue reading

Sheikh Naseeruddin Chiragh i Dehli

ग़यासपुर स्थित हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह- गर्मियों का मौसम था और दिल्ली गर्म तवे की तरह तप रही थी । दोपहर की इस चिलचिलाती धूप में हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह के जमआत खाने में यह समय ख़ादिमों, मुरीदों और राहगीरों के सुस्ताने का समय होता था । जमआत खाना लोगों से खचाखच भरा… continue reading