Qawwalon ke Qisse-7 Habeeb Painter Qawwal ka Qissa

भारत-चीन युद्ध के समय जब पूरा देश एकता के सूत्र में बंध गया था,उस नाज़ुक दौर में अवाम को जगाने और सैनिकों का हौसला बढ़ाने का बीड़ा क़व्वाल हबीब पेंटर ने उठाया। उनकी क़व्वालियों से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हबीब पेंटर को बुलबुल-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित किया ।हबीब अपने शुरूआती दिनों में घरों को पेंट करने का काम करते थे. यही कारण था कि उनका नाम हबीब पेंटर पड़ गया । हबीब खुद को हज़रत अमीर ख़ुसरो का मुरीद कहते थे।  इन की क़व्वालियाँ बड़ी प्रसिद्ध थीं। बहुत कठिन है डगर पनघट की और नहीं मालूम जैसी क़व्वालियों की उन दिनों धूम थी ।हबीब ने कभी फिल्मों के लिए नहीं गाया ।इन की मृत्यु 22 फरबरी 1987 को हुई । उनके नाम पर अलीगढ़ में सिविल लाइन्स के पास एक पार्क का नामकरण किया गया है । उनके बा’द उनके बेटे अनीस पेंटर और नाती ग़ुलाम हबीब उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं ।

-सुमन मिश्र

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