Articles By Sufinama Archive

Sufinama Archive is an initiative to reproduce old and rare published articles from different magazines specially on Bhakti movement and Sufism.

हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी-प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी

पैदाइश-ओ-ख़ानदान क़िब्ला-ए-आ’लम हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी रहमतुल्लाहि अ’लैह की विलादत-ए-बा-सआ’दत 14 रमज़ानुल-मुबारक 1142 हिजरी 2 अप्रैल 1730 ई’स्वी को मौज़ा’ चौटाला में हुई जो महार शरीफ़ से तीन कोस के फ़ासला पर है। आपके वालिद-ए-गिरामी का इस्म-ए-मुबारक हिन्दाल और वालिदा-ए-मोहतरमा का नाम आ’क़िल बी-बी था।आपके वालिद-ए-गिरामी पहले मौज़ा’ चौटाला में रहते थे। आपके तीन भाई मलिक सुल्तान, मलिक बुर्हान और मलिक अ’ब्दुल… continue reading

याद रखना फ़साना हैं ये लोग-अज़ भारत रत्न डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ

तारीख़ दो तरह की होती है।एक वाक़ई’ तारीख़ जो बड़ी तलाश-ओ-तहक़ीक़,बड़ी छान-बीन के बा’द किताबों में लिखी जाती है और एक अफ़्सानवी तारीख़ जो तख़य्युल के बू-क़लमूँ और जज़्बात के रंगों से अ’वाम के दिलों पर नक़्श होती है।सल्तनत-ए-मुग़लिया में बड़े बड़े अ’ज़ीमुश्शान,जलीलुल-क़द्र,ऊलुल-अ’ज़्म बादशाह गुज़रे हैं जिनमें से हर एक उस अ’ह्द की दास्तान का… continue reading

हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन मुनव्वर निज़ामी

क़दीम तअ’ल्लुक़ हज़रत सुल्तानुल-मशाइख़ महबूब-ए-इलाही के मुरीदों और ख़ुलफ़ा में दो बुज़ुर्ग ऐसे हैं जिनको कई पुश्त से निस्बत की सआ’दत हासिल थी।एक हज़रत बाबा साहिब के नवासे हज़रत ख़्वाजा सय्यिद मोहम्मद इमाम निज़ामी बिन हज़रत ख़्वाजा बदरुद्दीन इस्हाक़ और दूसरे हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन मुनव्वर इब्न-ए-ख़्वाजा बुर्हानुद्दीन बिन हज़रत ख़्वाजा जमालुद्दीन हान्स्वी ।हज़रत ख़्वाजा जमाल… continue reading

अबू मुग़ीस हुसैन इब्न-ए-मन्सूर हल्लाज- हज़रत मैकश अकबराबादी

मंसूर  हल्लाज रहमतुल्लाह अ’लैह की शख़्सियत फ़ारसी और उर्दू शाइ’री का भी मौज़ूअ’ रही है, इसलिए इस बारे में क़दरे तफ़्सील की ज़रूत है।उ’लमा-ए-ज़ाहिर के अ’लावा ख़ुद सूफ़ियों में मंसूर के मुतअ’ल्लिक़ मुख़्तलिफ़ नुक़्ता-हा-ए-नज़र मिलते हैं।फ़ारसी शाइ’रों में शैख़ फ़रीदुद्दीन अ’त्तार रहमतुल्लाह अ’लैह और मौलाना रूम उनके बड़े ज़बरदस्त मो’तक़िदीन में से हैं। लेकिन अंदर… continue reading

तसव़्वुफ-ए-इस्लाम – हज़रत मैकश अकबराबादी

तसव्वुफ़ कुछ इस्लाम के साथ मख़्सूस और उसकी तन्हा ख़ुसूसियत नहीं है।अलबत्ता इस्लामी तसव्वुफ़ में ये ख़ुसूसियत ज़रूर है कि दूसरे मज़ाहिब की तरह इस्लाम में तसव्वुफ़ मज़हब के ज़ाहिरी आ’माल और रस्मों के रद्द-ए-अ’मल के तौर पर पैदा नहीं हुआ है बल्कि इब्तिदा ही से इस्लाम दुनिया के सामने ज़ाहिर-ओ-बातिन के मज्मुए’ के ब-तौर… continue reading

हज़रत मुल्ला बदख़्शी- पंडित जवाहर नाथ साक़ी देहलवी

नाम शाह मोहम्मद और लक़ब लिसानुल्लाह मा’रूफ़ ब-मुल्लाह शाह क़ादरी था। नूरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर बादशाह के अ’ह्द  मे ब-आ’लम-ए-तुफ़ूलियत वारिद-ए-कश्मीर हुए। तीन साल वहाँ क़याम रहा। वहाँ से आगरे पहुंचे।यहाँ हज़रत मियाँ नमीर सेसनाई क़ादरी लाहौरी सुनार जिनके ख़वारिक़-ए-आ’दात-ओ-करामात ने उनको मश्हूर-ए-ज़माना कर रखा था की सोहबत इख़्तियार की।आख़िर लाहौर तशरीफ़ ले गए।उनकी ख़िदमत में… continue reading

लोकगाथा और सूफ़ी प्रेमाख्यान-परशुराम चतुर्वेदी

हिन्दी के सूफ़ी-प्रेमाख्यानों का विषय प्रारम्भ से ही लोक-कथाओं जैसा रहता आया था। अतः इन्हें साहित्यिक लोकगाथा मान लेने की प्रवृत्ति स्वाभाविक ही है। तदनुसार इसके लिए अनेक उपयुक्त लक्षण भी निर्दिष्ट किये जा सकते हैं। उदाहरणार्थ, कहा जा सकता है कि मुल्ला दाऊद से ले कर ईसवी सन् की बीसवीं शताब्दी के कवि नसीर… continue reading

ज़िक्र-ए-ग़ौस-ए-आ’ज़म अ’ब्दुल-क़ादिर जीलानी- हज़रत मैकश अकबराबादी

इस्म-ए-मुबारक अ’ब्दुल-क़ादिर,लक़ब मुहीउद्दीन और कुन्नियत अबू-मोहम्मद है।नसब-ए-मुबारक वालिद-ए-बुज़ुर्गवार की तरफ़ से इमाम-ए-दोउम हज़रत सय्यिदिना हसन अ’लैहिस्सलाम तक और मादर-ए-मोहतरमा की जानिब से इमाम-ए-सेउम हज़रत सय्यदुश्शुहदा इमाम हुसैन अ’लैहिस्सलाम तक पहुंचता है। शैख़ अ’ब्दुल-हक़ मुहद्दिस दिहलिवी ने आपका ज़िक्र-ए-मुबारक और सन-ए-विलादत-ओ-वफ़ात का ज़िक्र इस तरह किया है। क़ुतुबुल-अक़ताब,फ़र्दुल-अहबाब,ग़ौसुल-आ’ज़म,शैख़-ए-शुयूख़ुल-आ’लम,ग़ौसुस्सक़लैन,इमामुत्ताइफ़ीन,शैख़ुत्तालिबीन,शैख़ुल-इस्लाम मुहीउद्दीन अबू मोहम्मद अ’ब्दुल-क़ादिर अल-हसनी-अल-हुसैनी अल-जीलानी रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु… continue reading

वेदान्त – हज़रत मैकश अकबराबादी

हम कौन हैं,काएनात क्या है,तख़्लीक़ का मक़्सद क्या है,इस ज़िंदगी के सफ़र की इंतिहा क्या है,नजात और उसके हासिल करने के ज़रीऐ’ क्या हैं,ये और इस क़िस्म के कई अहम सवाल हैं जिनको फ़ल्सफ़ी दलीलों से हल करना चाहते हैं  मुक़ल्लिदीन अपने रहबरों के अक़वाल से,आ’रिफ़ अपने कश्फ़-ओ-शुहूद और विज्दान से फ़ल्सफ़ा-ए-हक़ीक़त की जुस्तुजू से।मगर… continue reading

ख़ानक़ाह-ए-फुलवारी शरीफ़ के मरासिम-ए-उ’र्स

फुलवारी की ख़नाकाह और सज्जादा-ओ-सिलसिला-ए-हज़रत ताजुल-आ’रिफ़ीन आ’फ़्ताब-ए-तरीक़त मख़दूम शाह मोहम्मद मुजीबुल्लाह क़ादरी क़लंदर फुलवारवी की ज़ात-ए-बा-बरकात से वाबस्ता और उन्हीं के नाम-ए-नामी पर मौसूम है। ज़ैल में उस ख़ानकाह के मा’मूलात-ओ-मरासिम-ए-उ’र्स हदिया -ए-नाज़िरीन किए जाते हैं।यहाँ आ’रास की तक़रीबें मुतअ’द्दिद और ब-कसरत होती हैं लेकिन सब से पहला और मुक़द्दस और सब से ज़ियादा मुहतम-बिश्शान… continue reading