समाअ’ और आदाब-ए-समाअ’-मुल्ला वाहिदी साहब,देहलवी

आप पत्थर पर लोहे की हथौड़ी मारिए  पत्थर से आग निकलेगी इतनी आग कि जंगल के जंगल जला कर भस्म कर दे।यही हाल इन्सान के दिल का है। उस पर भी चोट पड़ती है तो ख़ाली नहीं जाती।इन्सानी दिल पर चोट लगाने वाली चीज़ों में एक बहुत अहम चीज़ ख़ुश-गुलूई और मौज़ूँ-ओ-मुनासिब तरन्नुम है।इन्सानी दिल में आग… continue reading

क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल

हज़रत ख़ाजा-ए-ख़्वाज-गान के वक़्त से आज तक हिन्दुस्तान में क़व्वाली की मक़्बूलियत कभी कम नहीं हुई बल्कि इसमें दिन-ब-दिन इज़ाफ़ा होता रहा।आज-कल तो ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मौसीक़ी की कोई भी फ़ार्म क़व्वाली के बराबर अ’वाम-ओ-ख़्वास में मक़्बूल नहीं है।लेकिन क़व्वाली के दाएरे को जो वुस्अ’त मौजूदा दौर में मिली है उसका एक… continue reading

Qawwalon ke Qisse-15 Azeez Naza.n Qawwal ka Qissa

क़व्वाली का सबसे रोचक पक्ष यह है कि हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहज़ीब की जब नीव डाली जा रही थी, क़व्वाली ने उस काल को भी अपने रस से सींचा है. क़व्वाली ने हिन्दुस्तानी साझी संस्कृति को न सिर्फ़ बनते देखा है बल्कि इस अनोखी संस्कृति के पैराहन में ख़ूबसूरत बेल बूटे भी लगाये हैं और… continue reading

Qawwalon ke Qisse-14 Pathane Khan ka Qissa

संगीतकार अपने पहले और बाद के युगों के बीच एक पुल का कार्य करते हैं . आने वाली पीढ़ी को अज्ञात के ऐसे पक्ष से भी अवगत करवाते हैं जो हमें कभी याद था पर आज हम उसे भूल चुके हैं. क़व्वालों का काम इस मामले में और भी अहम् यूँ हो जाता है क्यूंकि… continue reading

Qawwalon ke Qisse -13. Hamid Ali Bela ka Qissa

हज़रत शाह हुसैन (1538 -1599) पंजाब के अलबेले सूफ़ी थे. उनके पिता शेख़ उस्मान ढड्डे जुलाहे का काम करते थे। उन का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ और उन्हें पंजाबी काफ़ी का जनक भी कहा जाता है । उन के कलाम लोगों में बहुत ही हरमन प्यारे रहे हैं । उन की दरगाह बाग़बानपुरे में… continue reading

हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार

हिंदुस्तान में क़व्वाली सिर्फ़ संगीत नहीं है। क़व्वाली इंसान के भीतर  एक संकरे मार्ग का निर्माण करती है जिसमे एक तरफ़ खुद को डालने पर दूसरी और ईश्वर मिलता है। क़व्वाली की विविध विधाएं हिंदुस्तान में प्रचलित रही हैं। ये विधाएं क़व्वाली के विभिन्न अंग हैं जो कालान्तर में क्रमित विकास द्वारा स्थापित हुई हैं।… continue reading

Qawwalon ke Qisse-12 Farid Ayaz Qawwal ka Qissa

He woke up in a dingy room of a Delhi 6 guest house, he doesn’t keep his door closed. The neighborhood tea-seller’s ten year old son walked in with a newly learnt Bandish in Raaga Desh. He kept the tempo by drumming a rickety, old bedside table. The boy said, ‘my reward?’ after finishing his… continue reading

Qawwalon ke Qisse -11 -Aziz Miyan Qawwal ka Qissa

अज़ीज़ मियां मेरठी इकलौते ऐसे अनोखे क़व्वाल थे जो अपनी क़व्वालियाँ खुद लिखते थे ।साबरी ब्रदर्स और इनमें एक प्रतिद्वंदिता चलती थी।1975 में अज़ीज़ मियां का नया एल्बम ‘मैं शराबी’ आया, उसी साल साबरी ब्रदर्स का भी नया एल्बम ‘भर दो झोली मेरी या मुहम्मद’बाज़ार में आया जिसके गीत पुरनम इलाहाबादी ने लिखे थे ।… continue reading

Qawwalon ke Qisse-10 Sheikh Manjhu Qawwal ka Qissa

शैख़ मंझू जौनपुर में ही पैदा हुए और वहीं उनकी मृत्यु हुई।वह बचपन से ही संगीत के बड़े प्रेमी थे। मख़्दूम शाह अढ़हन के यहाँ मजलिसों में वह रोज़ उपस्थित रहते थे। यहाँ बड़े बड़े क़व्वाल आया करते थे ।मख़्दूम साहब के निर्देशानुसार मंझू ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की।कंठ में मानो ईश्वर का का… continue reading

Qawwalon ke Qisse-9 Meraj Ahmad Nizami ka Qissa

हैदराबाद के सूफ़ी शैख़ एवं शाइर अब्दुल क़ादिर सिद्दीक़ी हसरत ने मौसीक़ी को एक विज्ञान की तरह सीखा न कि प्रदर्शन हेतु। अपने आध्यात्मिक मक़ाम कि वजह से वह माहिरीन-ए-फ़न के घरों या कूचा –ओ-बाज़ार के चक्कर नहीं लगा सकते थे इस कारण से उन्होंने संगीत सीखने का आधुनिक तरीक़ा इख़्तियार किया। बाज़ार में उपलब्ध… continue reading