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Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

ग्रामोफ़ोन क़व्वाली

क़व्वाली अरबी के क़ौल शब्द से बना है जिस का शाब्दिक अर्थ बयान करना है। इसमें किसी रुबाई या ग़ज़ल के शेर को बार-बार दुहराने की प्रथा थी लेकिन तब इसे क़व्वाली नहीं समाअ कहा जाता था। महफ़िल-ए-समाअ का प्रचलन हिंदुस्तान के सूफ़ी ख़ानक़ाहों में बहुत पहले से रहा है। समाअ या क़व्वाली जब हिंदुस्तान… continue reading

बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – हज़रत शाह अकबर दानापुरी

सूफ़ी-सन्त नदी के घाटों की तरह होते हैं जिन से हो कर ईश्वरीय कृपा का पानी हर पल बहता रहता है और इस पानी से हर प्यासे की प्यास बुझती है। इन घाटों के नाम अलग-अलग होते हैं, इनकी सजावट अलग अलग होती है परन्तु बहने वाला पानी सब घाटों पर एक ही होता है,… continue reading

हज़रत ज़हीन शाह ताजी और उनका सूफ़ियाना कलाम

बाबा ताजुद्दीन नागपुरी महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत हुए हैं। मेहर बाबा ने इन्हें अपने समय के पाँच बड़े अध्यात्मिक गुरुओं में से एक माना है। महात्मा गाँधी भी बाबा ताजुद्दीन से मिलने जाया करते थे। बाबा ताजुद्दीन का व्यक्तित्व बड़ा रहस्यमयी रहा है। हजरत बाबा ताजुद्दीन का जन्म नागपुर शहर से 15 कि.मी. दूर कामठी… continue reading

बिहार की क़व्वाली और क़व्वालों का इतिहास

क़व्वाली शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘क़ौल’ से लिया गया है। क़ौल पढ़ने वाले व्यक्ति को क़व्वाल कहा जाता है। क़ौल का आम मतलब ‘क़ौल-ए-पैग़म्बर’ (हज़रत मोहम्मद पाक का कहा हुआ कथन) है, जिसे आपने हज़रत मौला अली के बारे में कहा था। क़व्वाली की शुरुआत हज़रत अमीर ख़ुसरौ ने की थी। उनके समय से… continue reading

हज़रत मयकश अकबराबादी

हिंदुस्तान में सूफ़ी ख़ानक़ाहों का एक लम्बा और प्रसिद्ध इतिहास रहा है। हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह हिंदुस्तान भर में प्रसिद्ध है जहाँ पर योगियों, सूफ़ियों और मलंगों का जमघट लगा रहता था। लंगर का चलन भी सूफ़ियों के द्वारा ही हिंदुस्तान में आया। ख़ानक़ाहें हिंदुस्तानी गंगा जमुनी तहज़ीब की ध्वजवाहक रही हैं। यहाँ हमारी… continue reading