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अजमेर विवाद का अविवादित पक्ष

“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading

आज रंग है !

रंगों से हिंदुस्तान का पुराना रिश्ता रहा है. मुख़्तलिफ़ रंग हिंदुस्तानी संस्कृति की चाशनी में घुलकर जब आपसी सद्भाव की आंच पर पकते हैं तब जाकर पक्के होते हैं और इनमें जान आती है. यह रंग फिर ख़ुद रंगरेज़ बन जाते हैं और सबके दिलों को रंगने निकल पड़ते हैं. होली इन्हीं ज़िंदा रंगों का त्यौहार है.

क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद जौनपूरी उ’स्मानी अज़ मौलाना हबीबुर्रहमान आ’ज़मी, जौनपुर

क़ुदरत का ये अ’जीब निज़ाम है कि एक की बर्बादी दूसरे की आबादी का सबब होती है, एक जानिब एक शहर उजड़ता है तो दूसरी तरफ़ दूसरा आबाद होता हैI  यही हमेशा से चला आता रहा है, इसी कानून-ए-फ़ितरत के तहत जब फ़ित्ना-ए-तैमूरी की हलाकत-ख़ेज़ियों से मग़रिब में दिल्ली की इ’ल्मी, तमद्दुनी और मुआ’शरती दुनिया में बाद-ए-ख़िज़ां के… continue reading

शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है अज़ जनाब मौलवी मुहम्मद ए’जाज़ हुसैन  ख़ान साहब, रईस-ए-पटना

शैख़ सा’दी के मुआ’सिर शम्स बिन क़ैस राज़ी की तसनीफ़ अल-मो’जम फ़ी-मआ’इर-ए-अशआ’रिल  अ’जम, मिर्ज़ा मुहम्मद बिन अ’ब्दुल वहाब क़ज़वीनी के तर्तीब-ओ-तहशिया से शाए’ हुई है, इस पर मिर्ज़ा साहब का एक बसीत आ’लिमाना मुक़द्दमा भी सब्त है। इस मुक़द्दमा में मिर्ज़ा साहब मौसूफ़ ने शैख़ सा’दी के तख़ल्लुस पर इस तक़रीब से नज़र डाली है कि इस मुआ’सिर… continue reading

शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी(इस्तिदराक)अज़ जनाब मुहम्मद अय्यूब क़ादरी साहब

जनाब डॉ लतीफ़ हुसैन अदीब बरेलवी का एक फ़ाज़िलाना मक़ाला हज़रत शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी पर मआ’रिफ़ आ’ज़मगढ, जिल्द94 शुमारा नंबर 5 (नवंबर सन1965 ई’सवी) में शाए’ हुआ है।फ़ाज़िल मक़ाला-निगार ने हज़रत नियाज़ बरेलवी की शाइ’री पर अछूते अंदाज़ में तआ’रुफ़-ओ-तब्सिरा फ़रमाया है।उस मक़ाला के आख़िर में लिखा है : “ख़ानक़ाह-ए-नियाज़िया के ज़ख़ीरा-ए-नवादिरात में थोड़ा… continue reading

हज़रत क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार-ए-काकी के मजमूआ’-ए-मल्फ़ूज़ात फ़वाइदुस्सालिकीन का मुताला’ अज़ जनाब मौलाना अख़्लाक़ हुसैन देहलवी साहब

फ़वाइदुस्सालिकीन फ़ारसी नुस्ख़ा मतबूआ सन1310 हिज्री सन1891 ई’सवी मतबूआ’ मुज्तबाई, दिल्ली ,इंडिया, हजम 36  सफ़हात,  साइज़ 20 X 26 ये किताब क़ुतुबल-अक़्ताब हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ओशी  अल-मुतवफ़्फ़ा सन 633 हिज्री के गिराँ-क़दर मल्फ़ूज़ात  का मजमूआ’ है जिसे हज़रत बाबा फ़रीद मसऊ’द गंज शकर मुतवफ़्फ़ा सन 670 हिज्री ने मुदव्वन फ़रमाया था, ये मजमूआ’–ए-मल्फ़ूज़ात  सात मजालिस पर मुश्तमिल है हर मज्लिस के… continue reading