आज रंग है !
रंगों से हिंदुस्तान का पुराना रिश्ता रहा है. मुख़्तलिफ़ रंग हिंदुस्तानी संस्कृति की चाशनी में घुलकर जब आपसी सद्भाव की आंच पर पकते हैं तब जाकर पक्के होते हैं और इनमें जान आती है. यह रंग फिर ख़ुद रंगरेज़ बन जाते हैं और सबके दिलों को रंगने निकल पड़ते हैं. होली इन्हीं ज़िंदा रंगों का त्यौहार है.