ख़ानक़ाह-ए-मनेर शरीफ़
अ’ब्दुर रहीम ख़ानख़ाना और इब्राहिम ख़ाँ कांकड भी आपके मुरीद थे। राजा मान सिंह और तानसेन आपके मो’तक़िद थे और अक्सर यह लोग आपकी ख़िदमत में मनेर शरीफ़ आया करते थे।
“अजमेरा के मायने चार चीज़ सरनाम ख़्वाजे साहब की दरगाह कहिए, पुष्कर में अश्नान मकराणा में पत्थर निकले सांभर लूण की खान” -(अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव किताब से ) ख़्वाजा साहब और अजमेर का ऐसा नाता है जैसा चन्दन और पानी का है । अजमेर सूफ़ी संतों के लिए एक ऐसा झरना है जहाँ देश… continue reading
अ’ब्दुर रहीम ख़ानख़ाना और इब्राहिम ख़ाँ कांकड भी आपके मुरीद थे। राजा मान सिंह और तानसेन आपके मो’तक़िद थे और अक्सर यह लोग आपकी ख़िदमत में मनेर शरीफ़ आया करते थे।
Professor S. H. Askari’s research encompassed a wide range of subjects including medieval Sufism, the Delhi Sultanate, the Mughals, Bihar’s regional history, and other aspects of cultural and social history between the 12th and 18th centuries.
One night she saw the Prophet (on whom be peace) in a dream. He saluted her and said, “Rabia, lovest thou me?” “O Prophet of God,” she replied, “is there anyone who does not love thee? Yet the love of the Most High fills my heart to such a degree that there is no room for love or hatred towards anyone else.”
डर्हम के बिशप को भी विक्टोरिया के समय में कहना पड़ा था कि “मिस्टिक लोगों में ‘मिस्ट’ नहीं है। वह बहुत साफ़ साफ़ देखते हैं और कहते हैं।” पश्चिम में इसका सब से बड़ा प्रमाण विलियम लौ की ‘सीरियस कौल’ नामी पुस्तक है जिसने अठारवीं सदी में भी इंग्लिस्तान में धर्म की धारा बहाई और… continue reading