Articles By Raiyan Abulolai

ज़िक्र-ए-ख़ैर हज़रत शाह ग़फ़ूरुर्रहमान ‘हम्द’ काकवी

कमालाबाद उ’र्फ़ काको की क़दामत के तो सब क़ाएल हैं।आज से 700 बरस क़ब्ल मुस्लिम आबादी का आग़ाज़ हुआ। इस तरह तवील अ’र्सा में ना जाने कितने मशाएख़ और दानिश-मंद गुज़रे जिनके मज़ारात आज भी काको के मुख़्तलिफ़ मक़ामात पर शिकस्ता-हाल में मौजूद हैं। काको में चंद ऐसे ख़ानदान भी मौजूद हैं जो तक़रीबन 250 बरस से आबाद हैं।उन्हीं… continue reading

ज़िक्र ए खैर हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली इस्लामपुरी

बिहार की सर-ज़मीन हमेशा से मर्दुम-ख़ेज़ रही है। न जाने कितने इल्म ओ अदब और फ़क़्र ओ तसव्वुफ़ की शख़्सियत ने जन्म लिया है। उन्हीं में एक नाम हज़रत सय्यद अलीमुद्दीन दानिश-मंद गेसू दराज़ का है । वो  शहर ए नेशापुर (ईरान) से मुंतक़िल हो कर हिन्दुस्तान में बिहार शरीफ़ (नालंदा) में हज़रत मख़दूम ए… continue reading

ज़िक्र ए ख़ैर हज़रत हसन जान अबुल उलाई शहसरामी

हमारे सूबा ए बिहार में शहसराम को ख़ास दर्जा हासिल है।यहाँ औलिया ओ अस्फ़िया और शाहान ए ज़माना की कसरत है। इस बात से किसी को इंकार नहीं कि शहसराम की बुलंदी शेर ख़ाँ सूरी (1545) से है। देखने वालों ने देखा है कि बड़े नव्वाबीन और शाहान ए ज़माना हुक्मरानी कर के ख़ाक नशीन… continue reading

दानापुर- सूफ़ियों का मस्कन

इन्सान जिससे मोहब्बत करता है फ़ितरी तौर पर उसका ज़िक्र ज़्यादा करता है।वो चाहता है कि जिन महासिन और ख़ूबियों से मैं वाक़िफ़ हूँ दूसरे भी वाक़िफ़ हों ताकि वो खूबियाँ अपने अंदर पैदा करने की कोशिश करें।इसी जज़्बा के तहत ख़ानवादा साजदिया अबुल उलाइया, दानापुर और उनके  अज्दाद-ए-किराम कई दहाइयों से अपने औलिया-ए-किराम की… continue reading

ज़िक्र-ए-ख़ैर शाह मोहसिन अबुल-उ’लाई दानापुरी

बिहार की सर-ज़मीन से न जाने कितने ला’ल-ओ-गुहर पैदा हुए और ज़माने में अपने शानदार कारनामे से इन्क़िलाब पैदा किया।उनमें शो’रा,उ’लमा,सूफ़िया और सियासी रहनुमा सब शामिल हैं।जब ज़रूरत पड़ी तो क़ौम की बुलंदी की ख़ातिर सियासत में उतरे।जब मज़हब पर उंगलियाँ उठने लगीं तो ब-हैसीयत आ’लिम-ए-दीन उसका जवाब दिया। जब क़लम की ज़रूरत महसूस हुई… continue reading

हज़रत सय्यद शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी

किसी भी शै को मुमताज़ और ख़ुश-गवार बनाने के लिए ग़ैर मा’मूल सिफ़त का होना ज़रूरी होता है ख़ाह वो शाहाँ-ए-ज़माना हो या सूफ़िया-ए-किराम जिनकी हसीन तर ज़िंदगी या’नी अख़्लाक़-ओ-किर्दार की बिना पर वो शहर-ए-जहाँ ये बस्ते हैं मुम्ताज़ होती है,इस तरह इमतिदाद-ए-ज़माना के बा’द रफ़्ता-रफ़्ता उन शाहों के रसूख़ में कमी आने लगती है… continue reading

हज़रत सय्यद शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती

कमालाबाद अल-मा’रूफ़ ब-काको अपनी क़दामत और हिदायत-ओ-लियाक़त के लिहाज़ से हमेशा मुमताज़ रह है। यहाँ मशहूर वलिय्या हज़रत मख़्दूमा बी-बी हद्या अ’ल-मारूफ़ ब-कमाल क़ुद्दिसा सिर्रहा का आस्ताना-ए-मुतबर्रका मुल्क भर में मशहूर है। कसरत से बंदगान-ए-ख़ुदा इस दर पे आ कर मन की मुराद पाकर ब-खु़शी वापस होते हैं। ये जगह हज़रत बी-बी कमाल की दामन-ए-मोहब्बत… continue reading

हज़रत ख़्वाजा शाह रुक्नुद्दीन इ’श्क़

ये मय-परस्तों का मय-कदा है ये ख़ानकाह-ए-अबुल-उ’ला है कोई क़दह-नोश झूमता है तो कोई बे-ख़ुद पड़ा हुआ है इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह से इस का फ़ैज़ान जारी-ओ-सारी हुआ।सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाईया के बानी-मबानी महबूब-ए-जल्ल-ओ-अ’ला हज़रत सय्यदना शाह अमीर अबुल-उ’ला अकबराबादी क़ुद्दिसा सिर्राहु मुतवफ़्फ़ा1061हिज्री हैं। ये सिलसिला… continue reading

हज़रत शैख़ शर्फ़ुद्दीन अहमद यहया मनेरी

सूबा-ए-बिहार का ख़ित्ता मगध,पाटलीपुत्र,राजगीर और मनेर शरीफ़ अपनी सियासी बर-तरी, इ’ल्मी शोहरत के साथ साथ रुहानी तक़द्दुस और अ’ज़मत के लिए हर दौर में मुमताज़-ओ-बे-मिसाल रहा है। हिंदू मज़हब हो या बौध-धर्म, जैन मज़हब हो या कोई दूसरा मकतबा-ए-फ़िक्र ग़र्ज़ कि हर दौर में इसकी अपनी ख़ुसूसियत और अहमियत रही है। इस्लामी अ’ज़मत और आ’रिफ़ाना… continue reading

ज़िक्र-ए-ख़ैर हज़रत पीर-ए-जगजोत

अक्सर वाक़िआ’त से साबित होता है कि हज़रत इमाम मोहम्मद अल-मा’रूफ़ ब-ताज-ए-फ़क़ीह मक्की ब-हुक्म-ए-सरकार-ए-दो-आ’लम सल्लल्लाहु अ’लैहि व-आलिहि वसल्लम चंद मुजाहिदों के साथ मक्कातुल-मुकर्रमा से हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए। बा’ज़ वाक़िआ’त से ये भी साबित होता है कि खिल्जी ने 590 हिज्री 1192 ई’स्वी में बिहार पर हमला किय। यूँ तो मुसलमानों की आमद और उन की… continue reading