हज़रत ख़्वाजा शाह रुक्नुद्दीन इ’श्क़
ये मय-परस्तों का मय-कदा है ये ख़ानकाह-ए-अबुल-उ’ला है कोई क़दह-नोश झूमता है तो कोई बे-ख़ुद पड़ा हुआ है इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह से इस का फ़ैज़ान जारी-ओ-सारी हुआ।सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाईया के बानी-मबानी महबूब-ए-जल्ल-ओ-अ’ला हज़रत सय्यदना शाह अमीर अबुल-उ’ला अकबराबादी क़ुद्दिसा सिर्राहु मुतवफ़्फ़ा1061हिज्री हैं। ये सिलसिला… continue reading