Articles By Raiyan Abulolai

हिंद की राबिआ’ बसरी -बी-बी कमाल काकवी

सूबा-ए-बिहार में मुसलमानों की आमद से पहले कमालाबाद उ’र्फ़ काको में हिन्दू आबादी थी,यहाँ कोई राजा या बड़ा ज़मीन-दार बर-सर-ए-इक़्तिदार था. पुराने टीलों और क़दीम ईंटें जो खुदाई में बरामद होती रहीं वो इस बात की शाहिद हैं,ब-क़ौल अ’ता काकवी कि बहुतेरे टीले और गढ इस बात की शहादत देते हैं .जदीद मकानात की ता’मीर… continue reading

Hazrat Syedna Shah Ameer Abul Ula

सूफ़िया-ए-किराम ने मख़्लूक़-ए-ख़ुदा के सामने अपने क़ौल की बजाए अपनी शख़्सियत और किरदार को पेश किया, उन्होंने इन्सानों की नस्ल, तबक़ाती और मज़हबी तफ़रीक़ को देखे बग़ैर उनसे शफ़क़त-ओ-मुहब्बत का मुआमला रखा, जमाअत-ए-सूफ़िया के मुक़तदिर मशाएख़ में ऐसी भी हस्तियाँ हुईं जो अपने ला-फ़ानी कारनामों की वजह से मुमताज़-ओ-अदील हुईं जैसे ग्यारहवीं सदी हिज्री के… continue reading

Qawwalon ke Qisse -6 Muhammad Yaqoob Khan aur Madar Bakhsh Khan ka Qissa

मुहम्मद याक़ूब ख़ां फुलवारीशरीफ ज़िला पटना में रहा करते थे उनके ताल्लुक़ात निहायत वसीअ थे। दूर दूर तक उनकी पहचान थी। सितार लाजवाब बजाते थे जिन लोगों को इनकी  महफ़िल याद है वो बड़े ख़ुशनुमा अंदाज़ में आपकी तारीफ़ किया करते हैं ।जब क़व्वाली गाना शुरू करते थे तो पहले सिर्फ सितार बजाते और ऐसा… continue reading

Qawwalon ke Qisse- 5 Muhammad Siddique Khan Qawwal ka Qissa

मुहम्मद सिद्दीक़ ख़ां अकबराबाद (आगरा) के क़रीब के रहने वाले थे वो सितार लाजवाब बजाते और बिला मिज़्राब बोल काटते और राग बजाते थे। इनका ख़ानदान गवैयों का है ये पहले इस्लाम पूर ज़िला नालंदा में मुलाज़िम थे फिर हज़रत शाह मुहम्मद अकबर अबू उलाई दानापूरी के मुरीद हो गए और बाज़ाबता क़व्वाली भी करने… continue reading

The life and times of Shah Akbar Danapuri

सूबा-ए-बिहार अपनी अज़मत के लिहाज़ से दीगर जगहों पर फ़ौक़ियत रखता है। इस्लाम की आमद के पहले यहाँ बौध और जैन मज़हब की ता’लीमात आम थीं। 576 हिज्री के बा’द मुस्लमानों की आमद सूबा-ए-बिहार के खित्ते में कसरत से हुई । फ़ातिह-ए-मुनीर हज़रत इमाम मुहम्मद अल-मारूफ़ ब-ताज-ए-फ़क़ीह मक्की की तीन औलाद मुहम्मद इसराईल,मुहम्मद इसमाईल और अबदुल अज़ीज़ ने यहाँ इस्लाम की तरवीज-ओ-इशाअत… continue reading

Bihar ki bahar- Sayyad Ahamd Charm-posh

बिहार की बहार:सय्यद अहमद चर्म-पोश बिहार शरीफ़ की अज़्मत-ओ-वक़ार हिन्दोस्तान की तारीख़ का एक ज़र्रीं बाब है  ख़्वाह हिंदू हो या मुस्लिम,बौद्ध धर्म वाले हों या जैन मज़हब वाले सभों को इस की अज़्मत का ए’तिराफ़ है. सिलसिला-ए-चिश्तिया के साथ ही साथ सिलसिला-ए-सुहरवर्दिया की तरवीज-ओ-इशाअ’त भी ख़ानवादा-ए-ताज फ़क़ीह के बा’द सूबा-ए-बिहार में ख़ूब से ख़ूब हुई… continue reading