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Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

हज़रत शैख़ सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली अवधी चिश्ती

पुन मैं अख्खर की सुद्ध पाई
तुर्की लिख हिंदू की गाई
(फिर मैं ने इन लफ़्ज़ों की हक़ीक़त पा ली
तुर्की (फ़ारसी) में लिख लिख कर मैं ने हिंदवी को गाया)

सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ -मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी

है रहमत-ए-ख़ुदा करम-ए-औलिया का नाम
ज़िल्ल-ए-ख़ुदा है साया-ए-दामान-ए-औलिया

हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया सुहरावर्दी रहमतुल्लाह अ’लैह

राहतुल-क़ुलूब (मल्फ़ूज़ात-ए-हज़रत बाबा गंज शकर) में है कि जिस वक़्त हज़रत बहाउद्दीन ज़करिया का विसाल हुआ, उसी वक़्त अजोधन में हज़रत बाबा गंज शकर बेहोश हो गए।बड़ी देर के बा’द होश आया तो फ़रमाया कि-
“बिरादरम बहाउद्दीन ज़करिया रा अज़ीं बयाबान-ए-फ़ना ब-शहरिस्तान-ए-बक़ा बुर्दंद”

हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी का पंडोह शरीफ़ से किछौछा शरीफ़ तक का सफ़र-अ’ली अशरफ़ चापदानवी

विलादतः- अशरफ़-उल-मिल्लत-वद्दीन हज़रत सय्यद अशरफ़ की सन 722 हिज्री में सिमनान में विलादत-ए-बा-सआ’त हुई जो बा’द में अशरफ़-उल-मिल्लत-वद्दीन उ’म्दतुल-इस्लाम,ख़ुलासतुल-अनाम ग़ौस-ए-दाएरा-ए-ज़माँ,क़ुतुब-ए-अ’स्र हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर अल- सिमनानी के नाम से मशहूर हुए।ये मा’नी-आफ़रीं इस्म-ए-मुबारक बारगाह-ए-मुस्तफ़वी सल्लल्लाहु अ’लैहि व-सलल्लम से तफ़्वीज़ हुआ था। हसब-ओ-नसबः– हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी क़ुद्दिस सिर्रहु सादात-ए-नूरिया से हैं। खुलफ़ा के अ’हद… continue reading

काउंट ग्लारज़ा का ख़त हज़रत वारिस पाक के नाम

सबा वारसी कहते हैं- दिलबर हो दिलरुबा हो आलम-पनाह वारिससुल्तान-ए-औलिया हो आलम-पनाह वारिस किस की मजाल है जो कशती मेरी डुबो देजब आप नाख़ुदा हो आलम-पनाह वारिस ये जान-ओ-दिल जिगर सब उस को निसार कर दूँजो तेरा बन गया हो आलम-पनाह वारिस हसरत यही है मेरी कि तो मेरे सामने होबाब-ए-करम खुला हो आलम-पनाह वारिस… continue reading