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Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब बह्र उल हयात

हज़रत ग़ौस ग्वालियरी शत्तारिया सिलसिले के महान सूफ़ी संत थे. शत्तारी सिलसिला आप के समय बड़ा प्रचलित हुआ. ग़ौस ग्वालियरी हज़रत शैख़ ज़हूर हमीद के मुरीद थे. अपने गुरु के आदेश पर आप चुनार चले गए और अपना समय यहां ईश्वर की उपासना में बिताया. चुनार में हज़रत 13 साल से अधिक समय तक रहे…. continue reading

उमर ख़य्याम की बीस रुबाइयाँ

उमर ख़य्याम (1041-1131) अपनी किताब रुबाइयात के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। फिट्जगेराल्ड द्वारा इनकी रुबाइयात के अंग्रेज़ी अनुवाद के बाद इनका नाम मशरिक और मग़रिब दोनों में मक़बूल हो गया । मौलाना रूमी की मसनवी के बाद सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में रुबाइयात का शुमार होता है।  कहा जाता है कि… continue reading

ज़िक्र-ए-ख़ैर हज़रत पीर-ए-जगजोत

अक्सर वाक़िआ’त से साबित होता है कि हज़रत इमाम मोहम्मद अल-मा’रूफ़ ब-ताज-ए-फ़क़ीह मक्की ब-हुक्म-ए-सरकार-ए-दो-आ’लम सल्लल्लाहु अ’लैहि व-आलिहि वसल्लम चंद मुजाहिदों के साथ मक्कातुल-मुकर्रमा से हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए। बा’ज़ वाक़िआ’त से ये भी साबित होता है कि खिल्जी ने 590 हिज्री 1192 ई’स्वी में बिहार पर हमला किय। यूँ तो मुसलमानों की आमद और उन की… continue reading

अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त

चतुर्थ उल्लास (परलोक की पहचान) पहली किरण -परलोक का सामान्य परिचय      मनुष्य जब तक मृत्यु को नहीं पहचानेगा, तब तक परलोक को नहीं पहचान सकता है, और जब तक जीवन को न जानेगा, तब तक मृत्यु को नहीं जान सकता। जीवन को पहचान तो जीव के यथार्थ स्वरूप को जानना ही है, और यह… continue reading

हिंद की राबिआ’ बसरी -बी-बी कमाल काकवी

सूबा-ए-बिहार में मुसलमानों की आमद से पहले कमालाबाद उ’र्फ़ काको में हिन्दू आबादी थी,यहाँ कोई राजा या बड़ा ज़मीन-दार बर-सर-ए-इक़्तिदार था. पुराने टीलों और क़दीम ईंटें जो खुदाई में बरामद होती रहीं वो इस बात की शाहिद हैं,ब-क़ौल अ’ता काकवी कि बहुतेरे टीले और गढ इस बात की शहादत देते हैं .जदीद मकानात की ता’मीर… continue reading