सुल्तानुल-मशाइख़ और उनकी ता’लीमात-हज़रत मोहम्मद आयतुल्लाह जा’फ़री फुलवारवी
सुल्तानुल-मशाइख़ की शख़्सियत पर अब तक बहुत कुछ लिखा जा चुका है इसलिए उनकी शख़्सियत के किसी नए गोशे का इन्किशाफ़ मुश्किल है।सीरत-ओ-शख़्सियत के किसी नए पहलु तक मुहक़्क़िक़ीन और अहल-ए-क़लम ही की रसाई हो सकती है।ख़ाकसार इसका अहल नहीं।ये चंद सतरें सुल्तानुल-मशाइख़ महबूब-ए-इलाही हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, क़ुद्दिसा सिर्रहु से अ’क़ीदत-ओ-मोहब्बत के नतीजे में और सिलसिला-ए-चिश्तिया… continue reading