online casino india

Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

हज़रत ख़्वाजा शाह रुक्नुद्दीन इ’श्क़

ये मय-परस्तों का मय-कदा है ये ख़ानकाह-ए-अबुल-उ’ला है कोई क़दह-नोश झूमता है तो कोई बे-ख़ुद पड़ा हुआ है इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह से इस का फ़ैज़ान जारी-ओ-सारी हुआ।सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाईया के बानी-मबानी महबूब-ए-जल्ल-ओ-अ’ला हज़रत सय्यदना शाह अमीर अबुल-उ’ला अकबराबादी क़ुद्दिसा सिर्राहु मुतवफ़्फ़ा1061हिज्री हैं। ये सिलसिला… continue reading

हज़रत शैख़ शर्फ़ुद्दीन अहमद यहया मनेरी

सूबा-ए-बिहार का ख़ित्ता मगध,पाटलीपुत्र,राजगीर और मनेर शरीफ़ अपनी सियासी बर-तरी, इ’ल्मी शोहरत के साथ साथ रुहानी तक़द्दुस और अ’ज़मत के लिए हर दौर में मुमताज़-ओ-बे-मिसाल रहा है। हिंदू मज़हब हो या बौध-धर्म, जैन मज़हब हो या कोई दूसरा मकतबा-ए-फ़िक्र ग़र्ज़ कि हर दौर में इसकी अपनी ख़ुसूसियत और अहमियत रही है। इस्लामी अ’ज़मत और आ’रिफ़ाना… continue reading

मकनपुर शरीफ़ चित्रावली

मकनपुर कानपुर शहर से 66 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक सुन्दर गाँव है जहाँ हज़रत सय्यद बदीउद्दीन ज़िन्दा शाह मदार की दरगाह स्थित है. अप्रैल 2011 में मेरा मकनपुर जाना हुआ था. मैं मलंगों से सम्बंधित अपने निजी शोध के लिए वहां गया था और 3 दिन रहा. उस दौरान बहुत सी तस्वीरें भी… continue reading

ख़ानक़ाह हज़रत मैकश अकबराबादी,आगरा में संरक्षित सूफ़ी चित्रों का दुर्लभ संसार

ख़ानक़ाह शब्द फ़ारसी से लिया गया है जिसके मा’नी हैं ऐसी जगह जहाँ एक सूफ़ी सिलसिले के लोग किसी मुर्शिद के निर्देशन में आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं . यहाँ अध्यात्म पर चर्चाएं होती हैं और आपसी सद्भाव का सूफ़ी सदेश आम किया जाता है. हिंदुस्तान में सूफ़ी ख़ानक़ाहों का एक लम्बा और प्रसिद्द इतिहास… continue reading

आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग

आगरा की सूफ़ियाना तारीख़ उतनी ही पुरानी है जितनी ख़ुद आगरा की।आगरा श्री-कृष्ण के दौर से ही मोहब्बत और रूहानियत का मर्कज़ रहा लेकिन मुस्लिम सूफ़ियाना रिवायत की इब्तिदा सुल्तान सिकंदर लोदी से होती है, जिसने आगरा को दारुल-सल्तनत बना कर अज़ सर-ए-नै ता’मीर किया। ये रौनक़ अकबर-ए-आ’ज़म और शाहजहाँ तक आते आते दो-बाला हो… continue reading