
ख़ानक़ाह हज़रत मैकश अकबराबादी,आगरा में संरक्षित सूफ़ी चित्रों का दुर्लभ संसार

ख़ानक़ाह शब्द फ़ारसी से लिया गया है जिसके मा’नी हैं ऐसी जगह जहाँ एक सूफ़ी सिलसिले के लोग किसी मुर्शिद के निर्देशन में आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं . यहाँ अध्यात्म पर चर्चाएं होती हैं और आपसी सद्भाव का सूफ़ी सदेश आम किया जाता है. हिंदुस्तान में सूफ़ी ख़ानक़ाहों का एक लम्बा और प्रसिद्द इतिहास रहा है . हज़रत निजामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह हिंदुस्तान भर में प्रसिद्द है जहाँ पर योगियों, सूफ़ियों और मलंगों का जमघट लगा रहता था . लंगर का चलन भी सूफ़ियों के द्वारा ही हिंदुस्तान में आया. सूफ़ी ख़ानक़ाहों में रोज़ लंगर हुआ करते थे जिनमे जाति, धर्म और संप्रदाय को पूछे बिना सब को खाना खिलाया जाता था .
सूफ़ी ख़ानक़ाहें हिंदुस्तानी गंगा जमुनी तहज़ीब की ध्वजवाहक रही हैं। यहाँ हमारी संस्कृति के न सिर्फ़ रंग बिरंगे रूप देखने मिलते हैं बल्कि इन्होंने इसे सहेज कर भी रखा है।कई रस्में आज भी सूफ़ी ख़ानक़ाहों में नियमित होती हैं जो वर्षों से चली आ रही हैं और उनमे हमारी गंगा जमुनी तहज़ीब के कुछ ऐसे अनोखे रंग भी मिलते हैं जो हमें और कहीं नहीं मिलते. सूफ़ी ख़ानक़ाहें हमारी संस्कृति की जीवित जीवाश्म हैं. इनकी रूह आज भी वही है जो सदियों पहले हुआ करती थी. इन ख़ानक़ाहों में सौभाग्य से बहुत कुछ आज भी संरक्षित रह गया है जो अन्यत्र नहीं मिलता. इसी कड़ी में एक बड़ा हिस्सा है तस्वीरों और पेंटिंग्स का जिनमे अतीत से लेकर वर्तमान की सुन्दर कड़ियाँ मिलती हैं. सूफ़ीनामा में इन ख़ानक़ाहों के समृद्ध इतिहास से जुड़ने का भागीरथ प्रयास ज़ारी है. हम आने वाले लेखों में ख़ानक़ाहों में सुरक्षित तस्वीरों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं.
ख़ानक़ाह ए आगरा क़ादरिया ,आस्ताना ए हज़रत मैकश एक अज़ीम रूहानी मरकज़ है जहाँ से तसव्वुफ, इश्क़ ए हकीकी और अदब का पैगाम तीन सदियों से दिया जा रहा है ये आगरा मे ऊर्दु फरोग़ का मरकज़ भी रहा है आज भी यहाँ इश्क़ ए ख़ुदा और अज़मत ए इंसान का दर्स दिया जाता है.यहाँ संरक्षित कुछ दुर्लभ तस्वीरें प्रस्तुत हैं –
हज़रत शैख़ सय्यद अहमदुल्लाह शाह क़ादरी (वालिद ए हज़रत सय्यद अमजद अ’ली शाह साहब क़ादरी)

हज़रत शैख़ सय्यद अमजद अ’ली शाह क़ादरी (आलिम ए दीन ओ सूफ़ी ए बा सफ़ा, सिलसिला ए आलिया क़ादरिया )

हज़रत सय्यद मुनव्वर अ’ली शाह क़ादरी साहब
(साहिबज़ादे सय्यद अमजद अ’ली शाह साहब व साहिब ए सज्जादा ख़ानक़ाह ए क़ादरिया आगरा )

हज़रत सय्यद असग़र अ’ली शाह क़ादरी निज़ामी जाफ़री (र.अ.) अपने ख़ादिम के साथ
(वालिद हज़रत सय्यद मुहम्मद अ’ली शाह मैकश अकबराबादी)

हज़रत सय्यद मुहम्मद अ’ली शाह मैकश अकबराबादी

एक यादगार तस्वीर – हज़रत मैकश अकबराबादी

हज़रत क़िब्ला मैकश साहेब ज़ेब-ए- मसनद आस्ताना ए आलिया, साथ हैं आप के नाबीरा ओ जानशीन जनाब सय्यद अजमल अ’ली शाह साहब

हज़रत अल्लामा क़िब्ला मैकश अकबराबादी साहब एक महफ़िल ए समाअ’ में

बाला ख़ाने के कमरे के बाहर महव ए ख़्याल हज़रत मुफ़क्किर मैकश अकबराबादी र. ह.

हज़रत ख्व़ाजा सय्यद क़ुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (र.अ.) द्वारा कही गयी मुनाजात हज़रत मैकश साहब की कलम से
मेवा कटरा का वह मकान जहाँ क़िब्ला मैकश साहब पैदा हुए और यहीं इंतक़ाल हुआ

कला महल, आगरा, जहाँ मिर्ज़ा ग़ालिब पैदा हुए, की तस्वीर. हज़रत मैकश अकबराबादी साहब नज़र आ रहे हैं

हज़रत मैकश अकबराबादी की कलम से —
हज़रत शैख़ सय्यद मुज़फ्फर अ’ली शाह अल्लाही अकबराबादी के हाथ की लिखावट (लुग़त का एक क़लमी सफ़ा)

सबील ए हुसैन मेवा कटरा (मुहर्रम में इस तरह की सबीलें लगती थीं. यह तस्वीर 1940 से पहले की है )

क़ब्र ए मीर की तस्वीर, लखनऊ में सय्यद M.A.SHAH साहब के संग्रह से मिली
मज़ार ए मिर्ज़ा ग़ालिब की एक क़दीम तस्वीर

शज़रा-ए-नसब

सय्यद अजमल अ’ली शाह और उनके बेटे सय्यद फैज़ अ’ली शाह

छठी शरीफ़ हज़रत ख्व़ाजा सय्यद मुईनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी र.अ. -आस्ताना हज़रत मैकश, ख़ानक़ाह क़ादरिया नियाज़िया.

उर्स हज़रत सय्यद मुज़फ्फर अ’ली शाह क़ादरी निज़ामी र.अ. 9,10 रबी उल अव्वल

मज़ार हज़रत शैख़ सय्यद मुज़फ्फर अ’ली शाह जाफ़री क़ादरी निज़ामी र.अ.

उर्स हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया महबूब ए इलाही र.अ.

उर्स ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ आस्ताना हज़रत मैकश अकबराबादी

ख़ानक़ाह में बसंतोत्सव
रंग ए सुलह कुल

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