online casino india

Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

हाजी वारिस अ’ली शाह का पैग़ाम-ए-इन्सानियत- डॉक्टर सफ़ी अहमद काकोरवी

उन्नीसवीं सदी का दौर है। अवध की फ़िज़ा ऐ’श-ओ-इ’श्रत से मा’मूर है। फ़ौजी क़ुव्वतें और मुल्की इक़्तिदार रू ब-ज़वाल हैं। मगर उ’लमा-ए-हक़ और सूफ़िया-ए-पाक-तीनत का फ़ुक़दान नहीं है। उन सूफ़िया-ए-साफ़ बातिन ने अ’वाम-ओ-ख़्वास और अपने हाशिया-नशीनों को इन्सानियत का मफ़्हूम समझाया। उन्हों ने आ’ला अक़्दार इस तरह लतीफ़ पैराए में उनके ज़िहन-नशीन कराए कि वो… continue reading

तज़्किरा-ए-फ़ख़्र-ए-जहाँ देहलवी -प्रोफ़ेसर निसार अहमद फ़ारूक़ी

मियाँ अख़लाक़ अहमद साहिब मरहूम मुहिब्बान-ए-औलिया-उल्लाह में से थे। मेरे हाल पर भी नज़र-ए-इ’नायत रखते थे। कभी कभी ख़त लिख कर याद फ़रमाया करते थे। मेरी बद-क़िस्मती है कि कभी उनसे मुलाक़ात का शरफ़ हासिल नहीं हुआ और 1989 ई’सवी में जब मेरा लाहौर जाना हुआ तो उनके मज़ार पर ही हाज़िरी हो सकी। अल्लाह… continue reading

हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह – डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी कलीमी फ़रीदी

हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह1859 ई’स्वी में रावलपिंडी से ग्यारह मील के फ़ासिला पर क़िला गोलड़ा में पैदा हुए। आपके वालिद हज़रत सय्यिद नज़र शाह को आपकी विलादत की ख़ुश-ख़बरी एक मज्ज़ूब ने दी थी। मज्ज़ूब ना-मा’लूम इ’लाक़ा से आया था और सय्यिद मेहर अ’ली शाह की विलादत के फ़ौरन बा’द आप की ज़ियारत कर… continue reading

बाबा बुल्ले शाह और उनका काव्य

इश्क़ शब्द अरबी के इश्क़िया (عشقیہ)  से निकला है. यह एक प्रकार की वनस्पति है जिसे फ़ारसी में इश्क़ पेचां तथा अरबी में लबलाब कहते हैं. जब यह किसी पेड़ से लिपट जाती है तो वह पूरा वृक्ष सुखा देती है. यही हालत इश्क़ की है. इश्क़ भी जिस तन को लग जाता है वह… continue reading

PERSIAN POETRY AND LIFE IN THE THIRTEENTH CENTURY- REYNOLD A NICHOLSON

By the end of the twelfth century Persia, though paying nominal allegiance to the ‘ Abbasid Caliphate, had not only asserted her independence m the spheres of religion and politics, but had produced a large and varied literature in which the genius of the race expresses itself unmistakably Of this literature the best part in… continue reading