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Kahnwa baaje ho badhaiya- Shah Turab and his Krishna

“Niki lagat mohe apne pia ki,Aankh rasili laaj bhari re…” Farid Ayaz Saab used to recite this kalam with “aankh rasili, aur jadu bhari re.” I had corrected him once over a WhatsApp call, and at the age of 73, he was a curious learner, had accepted it in absolute humility.Incidentally, today is the 100th… continue reading

हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी-प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी

पैदाइश-ओ-ख़ानदान क़िब्ला-ए-आ’लम हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी रहमतुल्लाहि अ’लैह की विलादत-ए-बा-सआ’दत 14 रमज़ानुल-मुबारक 1142 हिजरी 2 अप्रैल 1730 ई’स्वी को मौज़ा’ चौटाला में हुई जो महार शरीफ़ से तीन कोस के फ़ासला पर है। आपके वालिद-ए-गिरामी का इस्म-ए-मुबारक हिन्दाल और वालिदा-ए-मोहतरमा का नाम आ’क़िल बी-बी था।आपके वालिद-ए-गिरामी पहले मौज़ा’ चौटाला में रहते थे। आपके तीन भाई मलिक सुल्तान, मलिक बुर्हान और मलिक अ’ब्दुल… continue reading

याद रखना फ़साना हैं ये लोग-अज़ भारत रत्न डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ

तारीख़ दो तरह की होती है।एक वाक़ई’ तारीख़ जो बड़ी तलाश-ओ-तहक़ीक़,बड़ी छान-बीन के बा’द किताबों में लिखी जाती है और एक अफ़्सानवी तारीख़ जो तख़य्युल के बू-क़लमूँ और जज़्बात के रंगों से अ’वाम के दिलों पर नक़्श होती है।सल्तनत-ए-मुग़लिया में बड़े बड़े अ’ज़ीमुश्शान,जलीलुल-क़द्र,ऊलुल-अ’ज़्म बादशाह गुज़रे हैं जिनमें से हर एक उस अ’ह्द की दास्तान का… continue reading

हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन मुनव्वर निज़ामी

क़दीम तअ’ल्लुक़ हज़रत सुल्तानुल-मशाइख़ महबूब-ए-इलाही के मुरीदों और ख़ुलफ़ा में दो बुज़ुर्ग ऐसे हैं जिनको कई पुश्त से निस्बत की सआ’दत हासिल थी।एक हज़रत बाबा साहिब के नवासे हज़रत ख़्वाजा सय्यिद मोहम्मद इमाम निज़ामी बिन हज़रत ख़्वाजा बदरुद्दीन इस्हाक़ और दूसरे हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन मुनव्वर इब्न-ए-ख़्वाजा बुर्हानुद्दीन बिन हज़रत ख़्वाजा जमालुद्दीन हान्स्वी ।हज़रत ख़्वाजा जमाल… continue reading

अबू मुग़ीस हुसैन इब्न-ए-मन्सूर हल्लाज- हज़रत मैकश अकबराबादी

मंसूर  हल्लाज रहमतुल्लाह अ’लैह की शख़्सियत फ़ारसी और उर्दू शाइ’री का भी मौज़ूअ’ रही है, इसलिए इस बारे में क़दरे तफ़्सील की ज़रूत है।उ’लमा-ए-ज़ाहिर के अ’लावा ख़ुद सूफ़ियों में मंसूर के मुतअ’ल्लिक़ मुख़्तलिफ़ नुक़्ता-हा-ए-नज़र मिलते हैं।फ़ारसी शाइ’रों में शैख़ फ़रीदुद्दीन अ’त्तार रहमतुल्लाह अ’लैह और मौलाना रूम उनके बड़े ज़बरदस्त मो’तक़िदीन में से हैं। लेकिन अंदर… continue reading

तसव़्वुफ-ए-इस्लाम – हज़रत मैकश अकबराबादी

तसव्वुफ़ कुछ इस्लाम के साथ मख़्सूस और उसकी तन्हा ख़ुसूसियत नहीं है।अलबत्ता इस्लामी तसव्वुफ़ में ये ख़ुसूसियत ज़रूर है कि दूसरे मज़ाहिब की तरह इस्लाम में तसव्वुफ़ मज़हब के ज़ाहिरी आ’माल और रस्मों के रद्द-ए-अ’मल के तौर पर पैदा नहीं हुआ है बल्कि इब्तिदा ही से इस्लाम दुनिया के सामने ज़ाहिर-ओ-बातिन के मज्मुए’ के ब-तौर… continue reading