हज़रत मख़दूम-ए-कबीर शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह ख़ैराबादी (814 – 922 हि•)
हज़रत मख़दूम-ए-कबीर, हज़रत ख़्वाजा क़ाज़ी क़िदवतुद्दीन अलमारूफ़ क़ाज़ी क़िदवा क़ुद्दस-सिर्रहु की औलाद में हैं । हज़रत क़ाज़ी क़िदवा, हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद व ख़लीफ़ा और सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के पीर भाई थे । मुर्शिद के हुक्म पर आप हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए और अवध में क़याम पज़ीर हुए ।हज़रत मख़दूम शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह के वालिद का नाम मख़दूम क़ाज़ी बदरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह अलमारूफ़ क़ाज़ी बुडढन रहमतुल्लाह अलैह है जो शहर उन्नाव के हाकिम व क़ाज़ी भी थे।
हज़रत मख़दूम-ए-कबीर शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह की विलादत 814 हिजरी में शहर उन्नाव में हुई । आप ने दर्स की किताबें हज़रत मौलाना आज़म सानी रह. और क़ाज़ी शैख़ बिन शैख़ मुरतज़ा रह. से पढ़ीं । इल्म और फ़न में इस दर्जा कमाल हासिल था कि आलमे ख्वाब में किसी आरिफ़ बिल्लाह ने हुज़ूर अनवर सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम से दरयाफ़्त किया कि शैख़ साद रह. का आलिमों के तबक़े में क्या मुक़ाम है आप सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि इज्तिहाद में इमाम अहमद बिन हम्बल रज़ि. का मर्तबा रखते हैं ।
आप ने कुछ किताबें भी तस्नीफ़ फ़रमाई हैं । शरह मिस्बाह, शरह क़ाफ़िया, शरह हिसामी, शरह बज़दवी, ख़ुतबात ईदैन और मजमऊस्सुलूक जो तसव्वुफ़ की जामे और मुफ़स्सल किताब है।
आप की एक किताब “लिबादुल अलबाब” भी है जिसका नाम “तोहफ़तुल महमूदी ” है । इस किताब को आपने अपने भाई के साहबज़ादे हज़रत मख़दूम सिराजुल इस्लाम शैख़ महमूद रहमतुल्लाह अलैह के नाम से मन्सूब फ़रमाया है । इसमें आप ने अपना नाम “अज़अफ़ इबादिल्लाहिल क़वी साद बिन बुडढन अल-बलख़ी अल-फ़रशवी” और बाज़ जगह “साद बिन बुडढन ” भी लिखा है ।
दरसी उलूम हासिल करने के बाद जवानी में आप क़ुतुबुल आलम हज़रत मख़दूम शैख़ मोहम्मद मीना अलमारूफ़ हज़रत मख़दूम शाह मीना रहमतुल्लाह अलैहके हल्क़ा-ए-इरादत में दाख़िल हो गए। बीस साल तक आपने पीर दस्तगीर की ख़िदमत में रहकर सख़्त मुजाहिदात और शदीद रियाज़तें करने के बाद कमाल का मर्तबा हासिल फ़रमाया ।
हज़रत मख़दूम शाह मीना रहमतुल्लाह अलैह विसाल के कुछ अरसे के बाद आलमे ख्वाब में पीर दस्तगीर ने आप को हुक्म फ़रमाया कि ख़ैराबाद जाओ और वहीं अपना मस्कन बनाओ और वहा रूश्दो हिदायत का सिलसिला जारी करो ।
आप के ख़ुल्फ़ा की तादाद 29 के क़रीब है जिनमें हज़रत शैख़ इब्राहीम भोजपुरी रह., हज़रत शैख़ इब्राहीम राजू रह., हज़रत मख़दूम शैख़ सफ़ी रह., हज़रत शैख़ कुद्दन ख़ैराबादी रह. हज़रत शैख़ मुअज़्ज़म गोपामवी रह., हज़रत मीरान सय्यद हामिद लखनवी रह., हज़रत बन्दगी शैख़ मुहम्मद साहबे सज्जादह, हज़रत शैख़ नसीरुद्दीन राजू रह., बिरादरज़ादा शैख़ आज़म साकिन क़िला नूर, हज़रत मीरान सय्यद गुसाई बुख़ारी रह., हज़रत मीरान सय्यद ख़ुर्द रह., हज़रत शैख़ नूर इस्हाक़ बिजनौरी रह., हज़रत शैख़ क़ासिम साकिन अचौली, हज़रत शैख़ बुडढन मुबारक मीर रह., मियां शैख़ अलाउद्दीन अरज़ानी रह., हज़रत मियां क़ाज़ी बख़्श रह., हज़रत शैख़ मुबारक रुदौलवी रह., मीरान सय्यद प्यारे जौनपुरी रह., हज़रत शैख़ कुद्दन सालेह लखनवी रह., मियां शैख़ बुरहान रह.।
हज़रत मख़दूम-ए-कबीर शैख़ साद उद्दीन ख़ैराबादी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल 16 रबीउल अव्वल 922 हिजरी को हुआ । आप का मज़ार मुबारक ख़ैराबाद, ज़िला सीतापुर में आज भी मरजए ख़लायक़ है ।
(माख़ूज़ अज़ ज़िक्र-ए-साद, मुरत्तिब सय्यद ज़िया अलवी)
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