हज़रत मीराँ जी शम्सुल-उ’श्शाक़- प्रोफ़ेसर निसार अहमद फ़ारूक़ी
उर्दू ज़बान की सर-परस्ती सब से ज़ियादा सूफ़िया ने की है।इसलिए कि उनका राब्ता अ’वाम और उनके मसाइल से था जिसके लिए अ’वामी ज़रिआ’-ए-इज़हार को समझना और बरतना भी ज़रूरी था।जब कि उ’लमा का सर-ओ-कार बेशतर इ’ल्मी मसाइल की तशरीह-ओ-तावील,तफ़्सीर-ओ-ता’बीर से रहा।और इस मक़्सद के लिए उन्हों ने अक्सर फ़ारसी ज़बान को वसीला बनाया जो… continue reading