Qawwalon ke Qisse-2 Nusrat Sahab ka Qissa
एक बार नुसरत साहब नींद में एक घंटा गाते रहे।जब नींद खुली तो उन्होंने बताया कि ख्व़ाब में वह किसी मज़ार पर थे जहाँ उनके पिता फ़तेह अ’ली ख़ान साहब ने उन्हें कलाम पढ़ने का हुक्म दिया।इस घटना को घर के बड़े लोगों ने एक रूहानी संकेत के तौर पर लिया और नुसरत साहेब को क़व्वाल पार्टी में शामिल कर लिया गया।
जब नुसरत साहब ने मज़ार के विषय में विस्तार से बताया तो जो लोग हिंदुस्तान गए थे वो बिलकुल भी चकित नहीं हुए। उन्होंने उस दरगाह को पहचान लिया । यह अजमेर में ख्व़ाजा साहेब की दरगाह थी। सालों बा’द जब नुसरत साहब अजमेर आये और ख्व़ाजा साहब की दरगाह पर हाजिरी देने पहुंचे तो जैसे उनका ख्व़ाब सच हो गया। उन्होंने उस जगह को पहचान लिया जहाँ पर बैठ कर उनके पिता ने उन्हें क़व्वाली पढ़ने कहा था। नुसरत साहब की आँखों में आंसू आ गए। दरगाह की देखभाल करने वालों में से एक ने उन से अन्दर आकर क़व्वाली शुरू करने का आग्रह किया लेकिन नुसरत साहब वहीं बैठे रहे जहाँ वह ख़्वाब में बैठे थे।उन्होंने वहीं बैठ कर क़व्वाली पढ़ी और श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।
-सुमन मिश्र
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